क्या आप जानते हैं कि कारगिल में दुश्मनों के बंकर ‘चांद की चांदनी’ से उड़े थे?

कारगिल में दुश्मनों के बंकर 'चांद की चांदनी' से उड़े थे?

कारगिल में दुश्मनों के बंकर ‘चांद की चांदनी’ से उड़े थे?

18 मई को हमारा सैन्य बेड़ा कारगिल पहुंचा था। लेकिन हम लोगों को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि हमारे प्रतिद्वंद्वी कौन हैं। क्या वे घुसपैठिए हैं या चरवाहे?

क्या चोटियों पर कब्जा करने वाले आतंकवादी पाकिस्तान से भेजे गए हैं? या फिर पाकिस्तान की वास्तविक सेना है। लेकिन जब हम पहुंचे, हमने अपने जहाजों से देखा कि यह पाकिस्तान की सेना है। 26 मई से, हमारे जंगी जहाजों के बेड़े में पाकिस्तान की सेना पर हवाई स्ट्राइक की गई। मैं हजारों फीट ऊंचे पहाड़ों पर जमी बर्फ में पड़ रही चांद की रोशनी से दुश्मनों को ढूंढने और उन पर अटैक करने का तरीका याद करता हूँ। हालाँकि, दस जुलाई को हमारे सैनिकों और जंगी जहाजों के बेड़ों ने ऑपरेशन समाप्त कर दिया था। अमर उजाला डॉट कॉम से हुई एक विशेष बातचीत में, देश के वायु सेना अध्यक्ष बीएस धनोआ ने ऐसे कई रहस्यों और योजनाओं का खुलासा किया। जंगी जहाजों ने शत्रु के स्थानों की रेकी की,

जैसा कि पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा, कारगिल युद्ध में दो महत्वपूर्ण पहलू थे। पहली बात यह है कि इतनी बड़ी घुसपैठ हुई कि हम बच नहीं पाए। दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे सैनिकों ने इस युद्ध में पाकिस्तान की सेना को पराजित करने के साथ-साथ उनकी वीरता भी दिखाई। BS Dhanoa ने कहा कि मई के दूसरे सप्ताह में कारगिल में घुसपैठ की जानकारी मिली। उन्हें बताया गया कि जंगी जहाजों के बेड़े को अब कारगिल में पहुंचना होगा और शत्रु को हवाई स्ट्राइक से मुंहतोड़ जवाब देना होगा। वे कहते हैं कि जब उनके जवान और उनकी स्क्वॉड्रन 18 मई को वहां पहुंचे, तो पता चला कि दुश्मनों की चाल की रेकी अभी फिर से शुरू हो गई है, इसलिए उनको फिर से करना पड़ा। धनोवा ने कहा कि अगले कुछ दिनों में उनके हेलीकॉप्टर और अन्य जहाज रेकी करने लगे। 21 मई को उनकी रेकी से पता चला कि पाकिस्तान के आतंकवादी या घुसपैठिए कारगिल की ऊंची चोटियों पर नहीं पहुंचे। या तो खुद पाकिस्तानी सेना ने घात लगाकर हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। कैसे चांदनी रात और बर्फ का लाभ उठाया,

बाद में बड़े ऑपरेशन की तैयारियां शुरू की गईं। जैसा कि पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने बताया, 26 मई से हमारे जहाजों ने कारगिल की चोटियों पर मौजूद पाकिस्तानी सैनिकों को लक्ष्य बनाना शुरू कर दिया। वह कहते हैं कि उन्होंने एयर स्ट्राइक के दौरान कई तरह की रणनीतियां बनाईं, जो सफल हुईं। भारतीय वायुसेना के पूर्व अध्यक्ष बीएस धनोआ ने कहा कि एयर स्ट्राइक के दौरान चांद भी निकला था। क्योंकि पहाड़ों पर बहुत बर्फबारी हुई थी, और चांद की रोशनी में बर्फ भी बहुत चमकती थी। वह कहते हैं कि उन्हें इससे लाभ हुआ। जंगी जहाजों के बेड़ों ने बर्फ पर बिछी चांदनी का फायदा उठाकर नजदीक से हमला किया, साथ ही दुश्मन के ठिकानों पर गिरने वाले बम का भी अच्छी तरह से आकलन किया। उसने कहा कि दुश्मन के हर स्थान पर सटीक निशाना लग रहा था और हर स्थान एक-एक कर नेस्तनाबूद हो रहा था। रात में एक किमी की दूरी पर जाकर अपने प्रतिद्वंद्वी को ठोका, भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा कि इस दौरान कई चुनौतियां भी आईं। रात को बमबारी करना भी एक बड़ी चुनौती थी। उसने कहा कि उनकी सेना ने भी मिग-21 से रात को एक किलोमीटर की दूरी पर पहुंचकर दुश्मन के ठिकाने को उड़ाने का साहस दिखाया था। BS Dhanoa ने बताया कि, हालांकि उनके दूसरे जहाज दिन-रात बमबारी करते रहते थे, लेकिन दुश्मन के ठिकानों से उनकी दूरी 3 से 4 किलोमीटर के बीच में थी। उनका निष्कर्ष था कि यह दूरी कम होनी चाहिए। यही कारण था कि उन्होंने रात को दुश्मन के ठिकानों पर कम दूरी के हमला करने की योजना बनाई। BS Dhanoa का कहना है कि इसमें जीपीएस द्वारा दुश्मन के स्थान और हेलीकॉप्टर के बीच की दूरी निर्धारित करके बमबारी की गई। इस दौरान, उनके जहाजों ने लक्ष्य से एक किलोमीटर के अंदर जाकर हमले किए। जो दिन-रात लगातार कम ऊंचाई से हमले करते रहे। पहाड़ों के बीच से कूदकर हमला कर रहे थे|

उसने कहा कि उन्होंने एक किलोमीटर की दूरी पर मिग-21 से हमले का अभ्यास किया। परीक्षा सफल रही। परीक्षण सफल होने के बाद, मिग-21 ने पहाड़ों के बीच से रात को जाकर लक्ष्यों को एक किलोमीटर की दूरी से ताबड़तोड़ हमले करने लगे। जैसा कि पूर्व एयर चीफ मार्शल धनोवा ने बताया, दुश्मन के सिर पर की गई एयर स्ट्राइक से उनके पांव उखड़ गए। दुश्मनों को मार डाला गया और उनके बंकर ध्वस्त किए गए। उसने कहा कि जब वे पहाड़ों के बीच से घुसकर दुश्मनों पर हमला कर रहे थे, तो पाकिस्तानी सेना को पता नहीं था कि भारतीय वायुसेना के जहाज किधर से आकर उनके ठिकानों और सैनिकों को नष्ट कर रहे हैं। उनका दावा है कि वे कम ऊंचाई पर दुश्मन के स्थान से एक किलोमीटर के भीतर निशाना बनाए जा रहे थे।

ऑपरेशन को वायुसेना ने 15 दिन पहले ही समाप्त कर दिया था।

भारतीय वायुसेना के अध्यक्ष बीएस धनोआ ने कहा कि कारगिल युद्ध 25 जुलाई को समाप्त होने से 15 दिन पहले ही वायुसेना ने अपना ऑपरेशन समाप्त कर दिया था। जवानों ने इस दौरान न सिर्फ दुश्मनों को पीछे हटने को मजबूर कर दिया, बल्कि उनमें से कई को मार डाला। वह कहते हैं कि उन्हें और पूरे देश को कारगिल युद्ध में वायु सेना और थल सेना के जवानों के अदम्य साहस पर गर्व है।

 

Reported By Lucky Kumari

 

क्या आप जानते हैं कि कारगिल में दुश्मनों के बंकर 'चांद की चांदनी' से उड़े थे?