दो महिलाओं की डिलीवरी हुई मोबाइल की रौशनी में, क्या यही है बिहार की स्वास्थ सेवा?

बिहार के लोगों को विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का दावा करने वाली डबल इंजन सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। बिहार के अस्पतालों से बदहाली की तस्वीरें सामने आती रही हैं। ताजा तस्वीरें वैशाली के सहदेई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सामने आई हैं, जहां प्रसव पीड़ा से कराह रही दो महिलाओं का मोबाइल की फ्लैश लाइट में डिलीवरी कराई गई। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वैशाली के सहदेई में डिलिवरी के लिए आई दो महिलाओं की डिलीवरी मोबाइल की फ्लैश लाइट की रोशनी में कराई गई है। प्रसव पीड़ा से कराह रही मरीज़ की जांच भी मोबाइल की रोशनी से की गई है। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसके बाद बिहार की स्वास्थ व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे है। वीडियो सहदेई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। इस 6 बेड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को 30 बेड वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड किया गया था।

प्रसव पीड़ा के तड़प रही मरीज सहदेई प्रखंड के नयागांव पश्चिमी तयबपुर निवासी बिपिन राम की पत्नी पार्वती देवी और सहदेई के ही विश्वजीत कुमार की पत्नी राघनी कुमारी हैं। दोनों को देर रात सहदेई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था लेकीन उस समय बिजली गुल थी। मौजूद आशा कार्यकर्ता ने लाइट नही होने की शिकायत चिकित्सा पदाधिकारी से की थी लेकीन जनरेटर चालू नही किया गया।

आशा कार्यकर्ता आशा कुमारी ने बताया कि बीते रात करीब 1:30 बजे बिजली कट गई थी। पेशेंट 1: 45 बजकर मिनट पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थीं और 2:10 पर मोबाइल के टॉर्च जलाकर डिलीवरी कराई गई। उन्होंने बताया कि पानी की भी व्यवस्था अस्पताल में नहीं था। टंकी का पानी खत्म हो चूका था। नीचे से ऊपर पानी लेकर जाना पड़ रहा था। पूरे रात बिजली गुल थी और जनरेटर भी स्टार्ट नहीं किया गया था। मोबाइल की रोशनी में ही मरीजों का देखभाल की जा रही थी।

क्या यही है बिहार की स्वास्थ सेवा?दो महिलाओं की डिलीवरी हुई मोबाइल की रौशनी में