केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने गुरुवार को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के केन्द्रीय संसदीय बोर्ड तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है। इसकी जानकारी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने दी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस के द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड को भंग करने का फैसला लिया गया है। नई केन्द्रीय संसदीय बोर्ड का पुर्नगठन यथाशीघ्र कर दिया जायेगा।
असल में, जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे अब राजनीतिक पार्टियों का दांव – पेंच भी शुरू होता हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में बिहार में इसकी शुरुआत दलितों के सबसे ज़्यादा लाभ सोचने वाले रामविलास पासवान की पार्टी में देखने को मिली। अभी पार्टी दो गुट में बैठ गई है। एक गुट के मुखिया रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस हैं तो दूसरे गुट के मुखिया इनके बेटे चिराग पासवान है।
रामविलास की लोजपा का स्थापना दिवस मनाया गया। ऐसे में इस स्थापना दिवस समारोह पर घर के अंदर ही दो अलग-अलग जगह पर स्थापना दिवस मनाता हुआ नजर आया। सबसे बड़ी बात या रही कि दोनों अपने आप को रामविलास के बाद पार्टी का दावा भी करने से पीछे नहीं है रहे। लेकिन इस दौरान सबसे अलग और रोचक चीज जो देखने को मिला वह यह था कि जिस बिना देवी के बंगले घर में बैठकर लोजपा को दो गुट में बदलने की रणनीति तय की गयी थी। वही, अब एक गुट को छोड़ कर दूसरे गुट में शामिल हो गई।
जानकारी के लिए बता दें, लोजपा पारस गुट की सांसद विणा देवी जब सांसद बनी थी तो लोजपा में कोई दो गुट नहीं था और पार्टी रामविलास पासवान के नेतृत्व में काफी मजबूती से चल रहा था। लेकिन वक्त ने करवट बदली और रामविलास पासवान का निधन हो गया। उनके निधन के कुछ दिनों के बाद लोजपा में बिखरा हुआ और रामविलास की लोजपा दो गुटों में तब्दील हो गई। एक गुट नाम राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी पड़ा जिसका अध्यक्ष रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस बनें। तो दूसरे गुट का नाम लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) तय हुआ। सबसे बड़ी बात है कि उसे पूरे चक्रव्यूह की रचना पार्टी की सांसद विणा देवी के घर पर ही रची गई थी। और इन्हीं के सहयोग पर पारस केंद्र में मंत्री बने और लोजपा का बिखरा भी हुआ। लेकिन अब जब लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आया तो विणा देवी ने पाला बदल दिया और यह चिराग की पार्टी में शामिल हो गई।अब देखना यह बड़ा ही रोचल होगा की आगामी चुनाव में दोनों गुटों की रणनीति क्या होगी।