भाजपा छत्तीसगढ़ में हारी हुई सीटों पर जीत के लिए कांग्रेस की रणनीति को अपनाएगी।

भाजपा छत्तीसगढ़ में हारी हुई सीटों पर जीत के लिए कांग्रेस की रणनीति को अपनाएगी।

भाजपा छत्तीसगढ़ में हारी हुई सीटों पर जीत के लिए कांग्रेस की रणनीति को अपनाएगी।

छत्तीसगढ़ में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के ‘राजस्थान फार्मूले’ को अपनाने की योजना बना रही है। भाजपा सितंबर में कांग्रेस की तरह अपने पहले प्रत्याशियों की सूची जारी कर सकती है। ये सीटें हैं जहां पिछले दो या तीन चुनावों में पार्टी को हार हुई है।

पार्टी से जुड़े लोगों ने बताया कि सत्तर विधानसभा सीटों में से 36 में पार्टी की स्थिति बहुत कमजोर है। इनमें से कई सीटें पर पार्टी को एक नहीं बल्कि दो या तीन बार हार का सामना करना पड़ा है। दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व ऐसी जगहों पर विचार कर रहा है। 7 और 8 अगस्त की बैठक में इस विषय पर भी चर्चा हुई। पार्टी को राज्य में लाभ मिल सकता है अगर कमजोर सीटों पर पहले प्रत्याशी उतारे जाते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, चुनाव प्रभारी ओम माथुर, सह प्रभारी मनसुख मंडाविया, प्रदेश सह प्रभारी नितिन नबीन, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, संगठन महामंत्री पवन साय और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह इस बैठक में उपस्थित थे।

पार्टी इन सीटों पर कमजोर है ,छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कोन्टा, सीतापुर, खरसिया और कोटा में कोई भी चुनाव जीता नहीं है। इसके अलावा, राज्य बनने के बाद से भाजपा ने मरवाही और पाली तानाखार सीटों पर भी जीत हासिल नहीं की है। पार्टी इन पदों पर उम्मीदवारों की घोषणा सितंबर में जारी होने वाली पहली सूची के तहत कर सकती है। भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी को फायदा होगा अगर इन कमजोर सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा पहले की जाती है। प्रत्याशी का नाम आते ही पहले से ही गुटबाजी हो जाती है, जिसे समझाकर शांत कर दिया जा सकता है। पार्टी के सदस्यों की रुचि और विपक्ष की कमियां सबसे पहले सामने आती हैं। इससे योजना बनाना आसान होता है।

भाजपा चार प्रकार के सर्वे करवा रही है , केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, ओम माथुर, शिव प्रकाश और जेपी नड्डा ने छत्तीसगढ़ में विभिन्न सर्वे एजेंसियों से सर्वे करवाया है। जिस व्यक्ति का नाम इस सर्वे में मिलेगा टिकट के लिए उसे शामिल किया जाएगा। इसके बाद, अगर मंडल अध्यक्षों द्वारा संभाग प्रभारियों से पूछे गए दो नामों में से कोई भी नाम मिलता है, तो उसे अंतिम सूची में रखा जाएगा। फाइनल उम्मीदवार के बारे में फिर से सर्वे करवाया जाएगा। उम्मीदवार को चुनाव जीतने के बाद प्रत्याशी बनाया जाएगा। जिस सीट पर कामन नाम नहीं मिला, चारों सर्वे एजेंसियों से फिर से रिपोर्ट की मांग की जाएगी।

 

Reported by Lucky Kumari

 

भाजपा छत्तीसगढ़ में हारी हुई सीटों पर जीत के लिए कांग्रेस की रणनीति को अपनाएगी।