भोला यादव – लालू प्रसाद यादव के करीबी और आरजेडी नेता भोला यादव को सीबीआई ने रेलवे भर्ती घोटाला मामले में गिरफ्तार किया

भोला यादव – PATNA 27.07.22 – लालू प्रसाद यादव  के करीबी और आरजेडी नेता भोला यादव  को सीबीआई ने रेलवे भर्ती घोटाला  मामले में इन्हें गिरफ्तार किया. जो लालू को जानता है वो यह भी जानता है कि भोला यादव कौन हैं? क्योंकि अस्पताल, कोर्ट, ट्रेन जहां भी लालू दिखेंगे वहां भोला यादव भी साथ में जरूर दिखते हैं. 2004 से लेकर 2009 तक लालू यादव के ओएसडी के रूप में काम कर चुके हैं. उस समय लालू यादव रेल मंत्री थे.

लालू परिवार में बढ़कर है मान-सम्मान

लालू प्रसाद यादव के करीबी-भोला यादव की पहचान इससे भी है कि लालू परिवार में ऐसा कोई नहीं है जो उनकी बात काट दे. लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव भी इनकी बात नहीं काटते हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भोला यादव लालू परिवार के कितने करीब हैं. लालू यादव के बारे में कई बातें ऐसी भी हैं जिसे घर वाले नहीं भी जानते होंगे लेकिन भोला यादव को पता होगा.

भोला यादव की गिरफ्तारी दिल्ली से हुई है. बता दें कि वर्ष 2004 से 2009 के बीच जब लालू यादव रेल मंत्री थे तब भोला यादव उनके ओएसडी थे. बताया जा रहा है कि भोला यादव को ‘जमीन के बदले नौकरी’ वाले केस में गिरफ्तार किया गया है.

रेलवे भर्ती घोटाला भी वर्ष 2004 से 2009 के बीच के समय का है. आरोपों के अनुसार, लालू यादव जब केंद्रीय रेल मंत्री थे तो जॉब लगवाने के बदले जमीन और प्लॉट लिए गए थे. इस मामले में 18 मई को सीबीआई ने लालू यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यावद समेत अन्य लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी. इसी साल मई में एक साथ 17 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. आरोप यह है कि रेलवे में ग्रुप डी में नौकरी के बदले पटना में प्रमुख संपत्तियों को लालू के परिवार के सदस्यों को बेची या गिफ्ट में दी गई थी.

सीबीआई के एफआईआर के अनुसार, राजकुमार, मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को नौकरी देने के नाम पर किशुन देव राय और उनकी पत्नी सोनमतिया देवी से छह फरवरी 2008 को महुआबाग की 3375 वर्गफुट जमीन राबड़ी देवी के नाम ट्रांसफर कराई गई. जमीन की कीमत 3.75 लाख दिखाई गई है. इसके एवज में तीनों को सेंट्रल रेलवे, मुबंई में नौकरी मिली.

संजय राय, धर्मेद्र राय, रवींद्र राय ने अपने पिता कामेश्वर राय की महुआबाग की 3375 वर्गफुट जमीन छह फरवरी 2008 को राबड़ी देवी के नाम पर रजिस्ट्री की। इसके एवज में इन्हें सेंट्रल रेलवे, मुंबई में ग्रुप-डी में नौकरी मिली. इसी तरह किरण देवी नाम की महिला ने 28 फरवरी 2007 को बिहटा की अपनी 80905 वर्गफुट (एक एकड़ 85 डिसमिल) जमीन लालू प्रसाद की पुत्री मीसा भारती के नाम कर दी. इस जमीन के एवज में किरण देवी को 3.70 लाख रुपए और उनके पुत्र अभिषेक कुमार को सेंट्रल रेलवे मुंबई में नौकरी दी गई.

हजारी राय ने महुआबाग की अपनी 9527 वर्गफुट जमीन 10.83 लाख रुपए लेकर मेसर्स एके इंफोसिस के नाम लिख दी. इसके बदले में हजारी राय के दो भांजे दिलचंद कुमार, प्रेमचंद कुमार में से एक को पश्चिम सेंट्रल रेलवे, जबलपुर और दूसरे को पूर्वोत्तर रेलवे कोलकाता में नौकरी दी गई सीबीआई की जांच में पाया गया कि इस कंपनी की सारी संपत्ति पूरे अधिकार के साथ वर्ष 2014 में लालू प्रसाद की बेटी और पत्नी को हस्तांतरित किए गए.

वहीं, लाल बाबू राय ने महुआबाग की अपनी 1360 वर्गफुट जमीन 23 मई 2015 को राबड़ी देवी के नाम ट्रांसफर की, जिसके एवज में लाल बाबू को 13 लाख रुपए मिले. इसके पहले ही उनके पुत्र लालचंद कुमार को 2006 में उत्तर-पश्चिम रेलवे, जयपुर में नौकरी लग गई थी. इसी प्रकार ब्रजनंदन राय ने महुआबाग की अपनी 3375 वर्गफुट जमीन 29 मार्च 2008 को गोपालगंज निवासी हृदयानंद चौधरी को 4.21 लाख लेकर ट्रांसफर की. बाद में यह जमीन हृदयानंद चौधरी ने लालू प्रसाद की बेटी हेमा यादव के नाम कर दी. जमीन जब तोहफे में दी गई उस वक्त सर्किल रेट 62.10 लाख रुपये था. हृदयानंद चौधरी को पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर में साल 2005 में ही नौकरी मिल गई थी.

विशुन देव राय ने महुआबाग की अपनी 3375 वर्गफीट जमीन 29 मार्च 2008 को सीवान के रहनेवाले ललन चौधरी के नाम ट्रांसफर की. ललन चौधरी ने यह जमीन हेमा यादव को 28 फरवरी 2014 को उपहार में दे दी. सीबीआई के मुताबिक इस तोहफे के बदले में विशुन देव राय के पोते पिंटू कुमार को पश्चिम रेलवे, मुंबई में नौकरी दी गई.

यहां बता दें कि लालू यादव के सबसे करीबी नेताओं में भोला यादव का नाम शुमार है. भोला यादव को लालू यादव का ‘हनुमान और उनकी ‘परछाई’ तक कहा जाता है. इस मामले में उनका भी नाम आया है. भोला यादव लालू यादव के कितने नजदीक हैं यह इस बात से भी पता लगता है कि लालू यादव जब जेल में थे तो भोला यादव भी वहीं रहते थे. कहा तो यह भी जाता है कि लालू यादव से कौन मिलेगा या फिर कौन नहीं ये भोला यादव ही तय करते थे.

2015 में चुनाव लड़ा और बन गए विधायक

भोला यादव मगध विश्वविद्यालय से गणित में स्नातकोत्तर हैं. लालू यादव ने भरोसा जताया और 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी की ओर से उन्हें बहादुरपुर सीट से टिकट दे दिया गया और भोला यादव विधायक चुन लिए गए थे. 2020 में भी भोला यादव को टिकट दिया गया. हालांकि इस बार सीट दूसरी थी. 2020 में भोला यादव हायाघाट सीट से चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं हो सकी.

दरभंगा के रहने वाले हैं भोला

बता दें कि भोला यादव मूल रूप से दरभंगा के रहने वाले हैं. यहां पैतृक घर कपछाही और बहादुरपुर स्थित आवास में आज छापेमारी हुई है. राजनीति में लालू के करीब आने के बाद इतन करीब हो गए कि लालू से कौन मिलेगा और कौन नहीं वो भोला यादव ही तय करने लगे.

भोला यादव क्यों फंसे?

यह पूरा मामला जमीन नौकरी के बदले जमीन और आईआरसीटीसी स्कैम से जुड़ा है. भोला यादव इसलिए फंसे हैं क्योंकि यह मामला उस वक्त का है जब लाल प्रसाद यादव रेल मंत्री थे. उस दौरान भोला यादव आरजेडी सुप्रीमो के ओएसडी थे. सारा काम देख रहे थे. इसलिए सीबीआई ने भोला यादव पर भी शिकंजा कसा है.

कुल चार जगहों पर हो रही छापेमारी

आयकर विभाग की सात सदस्यीय टीम ने बुधवार की सुबह भोला यादव के अलग-अलग कुल चार ठिकानों पर छापेमारी की. पटना में दो और दरभंगा में दो जगहों पर यह छापेमारी हुई है. भोला यादव के सीए के आवास पर भी छापेमारी हुई है. रेलवे भर्ती घोटाले से जुड़े हर मामले को एक-एक कर देखा जा रहा है.

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