यूपी के 22 हजार पुलिस अफसरों के लिए खुशखबरी! इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि उन्हें 2006 से अधिक पैसा और बेहतर नौकरी के पद मिलने चाहिए।

इलाहाबाद शहर में एक विशेष अदालत ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिससे उत्तर प्रदेश में सरकार और पुलिस को मदद मिली. कोर्ट ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा नौकरी से निकाले गए करीब 22 हजार पुलिस अधिकारियों को उनकी नौकरी वापस दी जानी चाहिए. इन अधिकारियों को काफी समय से वेतन नहीं मिला था,

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचुड़ और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की अपील पर न केवल प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को राहत दी, बल्‍कि प्रदेश सरकार के पक्ष में एक बड़ा आदेश देकर सरकार को करीब साढ़े तीन अरब से अधिक पैसों का लाभ दिया। वर्ष 2005-06 में तत्कालीन सपा सरकार के समय में लगभग 22 हजार सिपाहियों की भर्ती हुई थी।

इस भर्ती को वर्ष 2007 में बसपा सरकार के शासन के आने पर भर्तियों में घपला को आधार बनाकर सभी कार्यरत सिपाहियों की सेवाएं खत्म कर दी गई थी।

इसलिए उन्हें काफी पैसे चुकाने पड़े. अदालत ने पुलिस के प्रभारी सरकारी अधिकारियों से कहा कि अगर उन्होंने भुगतान नहीं किया तो उन्हें दंडित किया जाए। लेकिन बाद में एक अन्य अदालत ने कहा कि सरकार को उन्हें सज़ा नहीं देनी है और अधिकारियों को पैसे नहीं देने हैं.

कोर्ट में शीर्ष जजों ने ये फैसला सुनाया. अधिकारियों को नौकरी से निकालने में कुछ समस्या थी क्योंकि उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था, लेकिन अब वे फिर से काम कर रहे हैं।