२६ फरवरी गिरमीटिया वंशजों मतलब बिहार ,यूपी से कॉन्ट्रैक्ट लेबर बना के दूर देश ले जाये गये मजदूरों के वंशज के लिये बहुत महत्वपूर्ण और भावनाओं से जुड़ा दिन है

२६ फरवरी गिरमीटिया वंशजों मतलब बिहार ,यूपी से कॉन्ट्रैक्ट लेबर बना के दूर देश ले जाये गये मजदूरों के वंशज के लिये बहुत महत्वपूर्ण और भावनाओं से जुड़ा दिन है . इसी २६ फरवरी १८७३ को पहली अधिकृत ४१० मजदूरों से भरी लाला रूख जहाज सूरीनाम के पोर्ट पारामारिबो के लिये निकली थी. जो कॉंट्रैक्ट लेबर ले जाये गए उनमे से बस मुट्ठी भर ही वापस अपनी मातृभूमि भारत को देख पाये. ज़्यादातर को दुबारा अपने देश की मिट्टी नसीब नहीं हुई।
२६ फरवरी का दिन गिरमिटिया वंशजों के लिये दुःख ,दर्द, पीड़ा ,यातना , संघर्ष , प्रेरणा और अंत में आज कामयाबी की यात्रा के आरंभ का भी दिन है . इसी दिन को याद करते हुये सूरीनाम और नीदरलैंड में बसे चौथी से लेके सातवीं छठी पीढ़ी के गिरमिटिया वंशजों ने नीदरलैंड के द हेग शहर में नया गिरमिटिया गीत छइयां छइयां (चले) रिलीज़ किया है. विगत १५० सालों के दुःख ,दर्द, पीड़ा ,यातना , संघर्ष के बावजूद गिरमिटिया वंशजों ने अपनी भारतीय संस्कृति बचा के रखा है और उसे आने वाली पीढ़ीयों तक पहुँचाने के मकसद से निर्माता विजय और शर्मीली गंगादीन ने गीतकार,गायक और प्रसिद्ध गिरमिटिया संगीतकार राज मोहन को गाना लिखने के लिये संपर्क किया.
नीदरलैंड निवासी गिरमिटिया वंशज सुप्रसिद्ध राज मोहन अपने गीतों ,गजलों , फिल्मों एवम अन्य माध्यम से भारतीय सस्कृति को बिभिन्न देशों में आगे बढाने का काम करते ही हैं. राज मोहन और उनकी टीम जिसमे रॉकस्टार मानव –डी प्रमुख हैं. इन्होने सूरीनाम ,नीदरलैंड एवम भारत के कलाकारों के साथ मिलकर छइयां छइयां को बनाया है.
इस गाने की संगीत और कम्पोजीशन राज मोहन का है , म्यूजिक अरेंजमेंट बिहार के सुशांत अस्थाना का है और इस गाने के गायक राज मोहन (नीदरलैंड), निशा मदारन(सूरीनाम) , देवी जगमोहन और जिया रामबरन (नीदरलैंड) हैं.
इस गाने में तीन देशों का प्रतिनिधित्व है जिसमे नीदरलैंड से राज मोहन , मानव –डी, प्रोडूसर विजय गंगादिन ,शर्मीली गंगादिन ,देवी जगमोहन, और जिया रामबरन, किशन हीरा ,विशाल जिया हैं , सूरीनाम से निशा मदारन, और भारत के बिहार से आरा के देवेन्द्र सिंह और गोपालगंज के संगीतकार गायक सुशांत अस्थाना हैं.

२६ फरवरी गिरमीटिया वंशजों मतलब बिहारयूपी से कॉन्ट्रैक्ट लेबर बना के दूर देश ले जाये गये मजदूरों के वंशज के लिये बहुत महत्वपूर्ण और भावनाओं से जुड़ा दिन है