बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में जातीय गणना की रिपोर्ट पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय गणना के आंकड़ों पर उठ रहे सवाल को सीरे से खारिज कर दिया। सदन में बोलने हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सब वोगस बात है, कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।
बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से ही विपक्षी दल आंकड़ों को लेकर सवाल उठा रहे थे। बीजेपी के साथ साथ एनडीए में शामिल दलों का आरोप था कि जातीय गणना के आंकड़ों में सरकार ने खेल किया है और राजनीतिक लाभ लेने के लिए यादव और मुसलमानों की संख्या को बढ़ाकर दिखाया है जबकि वे जातियां जो जेडीयू और आरजेडी को वोट नहीं देती उनकी संख्या को घटा दिया गया है।
विपक्ष के आरोपों पर मुख्यमंत्री ने पहले ही कहा था कि इसपर शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में चर्चा कराई जाएगी। मंगलवार को शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट को सदन में रखा और इसपर चर्चा हुई। सरकार की तरफ से खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया और कहा कि 9 पार्टियों के समर्थन से बिहार में जाति आधारित गणना कराई गई है। यह ऐतिहासिक काम हुआ है। सभी लोगों को आंकड़े दिए गए हैं, इसको ठीक से देख लीजिए।
सीएम नीतीश ने कहा कि 2017 और 2020 हम बोल दिए थे। 1990 से ये बात मन में थी। बिहार में हमने सभी से बातचीत की, सभी दल के लोग पीएम से मिलने गए। प्रधानमंत्री से आग्रह किया, तब कहा गया कि राज्य अपने से करा ले। बाद में जब जाति आधारित गणना शुरू की तो सब कोर्ट में चले गए। मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने केवल गणना नहीं कराई बल्कि आर्थिक स्थिति का भी आकलन किया है। कोई बोलता है की किसी की जाति का घट गया और किसी का बढ़ गया तो जब आजतक जाति आधारित गणना हुआ ही नहीं तो ऐसी बोगस बात कौन करता है। आप वार्ड और पंचायत वार आंकड़े की मांग कर रहे हैं, वो भी कह देंगे, इसे कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि सब बोगस बात है, जातीय गणना में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।