सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान देने वाले तेजस्वी के विधायक फतेह बहादुर सिंह ने अयोध्या और श्रीराम को लेकर एक बार फिर जहर उगला है। कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने जमुई पहुंचे डेहरी के आरजेडी विधायक फतेह बहादुर ने कहा कि अयोध्या का निर्माण बौद्ध भिक्षुओं के सिर काटकर किया गया है जिसकी गवाह सरयू नदी है।
उन्होंने कहा कि पहले इसका नाम साकेत हुआ करता था, लेकिन जब राजा वृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग ने कर दी, इस दौरान लाखों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी गई थी। तब सरयू नदी खून से लाल हो गई थी। उसका नाम बदलकर साकेत से अयोध्या कर दिया गया था। इस दौरान लाखों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि लाखों बौद्ध भिक्षुओं के सिर काटे गए थे, इसी कारण उसे नदी का नाम सरयू नदी पड़ा।
उन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि भगवान राम महज एक काल्पनिक पात्र हैं। उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं कहता बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अपने आदेश में यह कहा था। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने मंदिर को गुलामी का रास्ता बताया है, तब विधायक कहा कि जो लोग इसे मेरा कहा हुआ कथन समझ रहे हैं, वह लोग इस देश में मनुवाद फैलाना चाहते हैं। यह बात सावित्री बाई फुले और डॉ. भीमराव अंबेडकर भी कह चुके हैं।
उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि शिक्षा शेरनी का वह दूध है इसे जो पी लेगा वह दहाड़ेगा इसी बात को मैंने कहा है लेकिन कुछ लोग इसे अलग तरीके से बता रहे हैं। यह लोग मनुवाद फैलाना चाहते हैं और आम लोगों के हाथों में त्रिशूल और तलवार देना चाहते हैं जबकि हम लोगों के हाथों में कलम और किताब देने की बात करते हैं। राजद विधायक यही नहीं रुके उन्होंने यह तक कह दिया कि भगवान श्री राम से पहले गौतम बुद्ध इस धरती पर आए थे। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि रामायण के सर्ग संख्या 109, चौपाई संख्या 134 में भी एक जगह पर लिखा हुआ है तथागत बुद्ध और उनके अनुयायियों के साथ वही दंड मिलना चाहिए, जो चोर को मिलता है।
विधायक ने कहा कि अब अगर वाल्मीकि रामायण में बुद्ध का उल्लेख किया गया है, जिससे यह पता चलता है कि पहले गौतम बुद्ध आए थे। रामायण या रामचरितमानस चौधरी से 15वीं शताब्दी में लिखी गई थी जबकि बुद्ध का अस्तित्व उससे भी पुराना है। उन्होंने कहा कि अगर मंदिर बनने से ही सब कुछ हो जाता तो राजद के नेता ने जब रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया गया तो उनके खिलाफ केस दर्ज करने के लिए आपको पुलिस थाना में जाने की जरूरत नहीं थी, आप मंदिर में जाकर केस की दर्ज करवा देते।
फतेह बहादुर ने कहा कि कोरोना काल में जब सभी अस्पताल में मरीजों को भर्ती किया जा रहा था उसे वक्त लोगों को मंदिरों में रखा जाना चाहिए था, जबकि उसे वक्त मंदिरों को बंद कर दिया गया था, आपने यह साबित कर दिया कि मंदिरों में कोई शक्ति नहीं है। लोग कहते हैं कि 22 जनवरी को भगवान राम में प्राण डाला जाएगा, तो इसका मतलब है कि इससे पहले भगवान राम प्राणहीन थे। भाजपा पर निशाना साधते हुए राजद विधायक ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों का काम लोगों के लिए विकास करना है, मंदिर बनवाना नहीं है।