वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित तहखाना में पूजा पाठ को चुनौती देने वाली मस्जिद पक्ष की याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रखा है।
वाराणसी के ज्ञानवापी केस में बीते 31 दिसंबर को हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली थी। जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी तहखाने में पूजापाठ की इजाजत हिंदू पक्ष को दी थी। हिंदू पक्ष ने कोर्ट से व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ की इजाजत मांगी थी। 31 साल बाद ज्ञानवापी परिसर में एक फरवरी को फिर से पूजा शुरू की गई। जिला कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
मुस्लिम पक्ष की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई पूरी हो गयी। कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद अपना जजमेंट रिजर्व किया। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने शाम 4 बजे दोनों पक्षों को अपने चैम्बर में बुलाया है। संभावना जताई जा रही है कि कोर्ट आज ही अपना फैसला सुना सकता है।
ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी तहखाने में पूजा पर रोक की मांग वाली याचिका की सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में पांच दिनों में पूरी हुई। हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन और विष्णु शंकर जैन ने बहस की जबकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील पुनीत गुप्ता ने बहस की।
हिंदू पक्ष की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने तकरीबन 40 मिनट तक दलीलें पेश कीं। मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी ने कहा कि 151, 152 सीपीसी को हिंदू पक्ष ने सही ढंग से नहीं पेश किया। दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया और दोनों पक्ष के लोगों को शाम चार बजे अपने चैंबर में बुलाया है।