बिहार में केवल मंत्री बदलते हैं स्वास्थ व्यवस्था में सुधार के लक्षण न के बराबर

 बिहार में भले ही जनवरी के महीने में सरकार बदल गई हो और कैबिनेट में नए मंत्री शामिल हुए हों और इन्हें विभाग भी बांट दिया गया है। लेकिन, इनके विभाग का क्या हाल है इसकी समीक्षा यह शायद ही किए हो और सबसे बुरा हाल स्वास्थ्य विभाग का है। इस विभाग के बदहाली का आलम यह है कि चाहे मंत्री कोई भी हो लेकिन इस विभाग की व्यवस्था में कोई बड़ा सुधार नजर नहीं आता है। अब एक ताजा मामला जमुई से निकल कर सामने आया है, जहां इमरजेंसी में घायल मरीज का इलाज जमीन पर ही होता है। इतना ही नहीं मरीजों के लिए स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं है और तो और कई जगहों पर डॉक्टर भी नदारत रहते हैं।

जमुई जिला के बरहट पीएचसी में आपात चिकित्सा की बिगड़ी तस्वीर देखने को मिल रही है। रात में यह अस्पताल पूरी तरह से एएनएम के सहारे चलता है। आलम यह है कि यहां इलाज करवाने आने वाले मरीज के लिए बेड भी उपलब्ध नहीं है। इसकी बानगी बीती रात देखने को मिली जब चंद्रशेखर नगर गुगुलडीह से गिधौर पुलिस मारपीट में घायल एक स्वजन को इलाज के लिए पीएचसी लाया गया।

पीएचसी के मेन गेट से अंदर खुली छत के नीचे ही लिटा कर ड्यूटी पर तैनात एएनएम शोभा कुमारी द्वारा इलाज कर दिया गया। उनसे जब यहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर  के बारे में पूछा गया कि वो कहां है तो उन्होंने बताया कि कोई डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं हैं। इस दौरान रोस्टर में एएनएम संगीता कुमारी की भी ड्यूटी लगाई गई थी। लेकिन वो ड्यूटी पर नहीं मिली।पूछने पर बताया गया कि वो आई थी लेकिन घर चली गई है। इस दौरान जब मीडियाकर्मी पर नजर पड़ते ही अंदर बेड पर ले जाने को कहने लगी। कोई भी कर्मी नहीं रहने पर घायल को स्वजनों द्वारा हाथ मे ले कर बेड पर ले जाया गया।जहां घायल को सलाइन चढ़ाया गया।

मामले में सिविल सर्जन कुंवर महेंद्र प्रताप का भी कहना है कि पूरे जिले के पीएचसी और सदर अस्पताल में कई तरह की कमियां है,उसको दूर किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो रोस्टर के अनुसार जिन भी एएनएम की या चिकित्सक की ड्यूटी लगाई जाती है।अगर वो ड्यूटी पर नहीं आना चाहते हैं तो उसके लिए अस्पताल प्रबंधन से मैनेज करना पड़ता है।

बिहार में केवल मंत्री बदलते हैं स्वास्थ व्यवस्था में सुधार के लक्षण न के बराबर