अंगिका के जनक अंग कोकिल डॉ परमानंद पांडे की जयंती के शुभ अवसर पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित

बिहार, पटना
अंगिका के जनक अंग कोकिल डॉ परमानंद पांडे की जयंती के शुभ अवसर पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि एक तपस्वी ऋषि डॉ परमानन्द पाण्डेय हिंदी के बड़े साधक कवि साहित्यकार तो थे ही लेकिन उन्होंने एक लोक भाषा यानी बोली को भाषा का स्वरूप प्रदान कर दिया 700 पृष्ठों का अद्भुत ग्रंथ का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन और व्याकरण के रचयिता पछिया बयार जैसी मधुर गीत रचना करके कंठहार हो गए इसी वजह से जनता ने भी अंगकोकिल के रूप में अद्भुत श्रद्धा थी ।
इस जयंती समारोह में प्रो घनश्याम पाण्डेय द्वारा संपादित ग्रन्थ *अनमोल अंगकोकिल डॉ परमानन्द पाण्डेय का मोल*,का विद्वानों के करकमलों द्वारा लोकार्पण भी हुआ ।
इस मौके पर बिहार संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ शंकर प्रसाद ने डॉ परमानन्द पाण्डेय विरचित प्रसिद्ध दादरा – फुलवरिया में तोरो गुलाब गमकै , सुनाकर समारोह को रस से सराबोर कर दिया ।
डॉ परमानन्द पाण्डेय की जयंती पर काव्यांजलि के रूप में लोकभाषा कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया ।

अंगकोकिल डा०परमानन्द पाण्डेय को अंगिका का उद्घारक
बताते हुए डा॰सुलभ ने आगे कहा कि व्याकरण रच कर अंगिका को बोली से भाषा बना देने वाले पाणिनी सहित दधीचि और साहित्यर्षि थे।डॉक्टर पाण्डेय ने सात सौ सै’तीस पृष्ठो’ का महान ग्रन्थ अंगिका का भाषावैग्यानिक अध्ययन लिखकर एक ऐसा अतुल्य सारस्वत कार्य किया है
जिसका कोई दूसरा उदाहरण नही’ है।जो भूमिका भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की हिन्दी के लिये थी
वही अंगिका के लिए डा०परमानन्द पाण्डेय की है।वे
अंगिका के जनक माने जाते है’।
डॉक्टर शंकर प्रसाद ने डा०परमानन्द पाण्डेय पर अपना आलेख प्रस्तुत करते हुए उनको एक अलौकिक व्यक्तित्त्व बताया।
डॉक्टर घनश्याम द्वारा सम्पादित
आकर्षक ग्रन्थ, अनमोल अंगकोकिल डा०परमानन्द पाण्डेय का मोल, का उक्त अति
भव्य समारोह मे लोकार्पण भी हुआ। वरिष्ठ कवि मृत्युंजय मिश्र करुणेश, प्रो॰आनन्द मूर्त्ति,तलत परवीन,डा॰अंजनी राज तथा प्रकाश आदि के अतिरिक्त डॉक्टर प्रीति,डा०अर्चना त्रिपाठी,प्रत्यक्षा
सूर्या, सर्वार्थ सिद्धि,राधा रानी,ब्रह्मानंद, मोईन, निहाल, चंदा मिश्र आदि ने भी गद्य पद्य मे अपनी रचनायें और बाते’ रखी’।
वक्ताओ’ ने यह भी रेखांकित किया कि डा०परमानन्द पाण्डेय के साथ कदम से कदम मिलाकर
चलने वाली स्वतन्त्रता सेनानी लेखिका पत्नी श्रीमती वागीश्वरी
पाण्डेय का भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
कार्यक्रम के अंत में नागेश्वर यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
आपको बता दें कि गत वर्ष अंगकोकिल डा०परमानन्द पाण्डेय शिखर सम्मान, डॉक्टर अनिल सुलभ, डाक्टर शंकर प्रसाद और सुनील कुमार दुबे को मिला था तो इस वर्ष डॉ शिबू पोटेन, फ्लोरिडा, अमेरिका ,डॉ रमा शर्मा, जापान
श्वेता सिंह उमा, रुस
तीन हिन्दी साहित्यकार जिन्हें सम्मानित किया गया ।
१९ दिसम्बर को परमा दिवस अंगिका दिवस के मौके पर प्रदान किया गया।

अंगिका के जनक अंग कोकिल डॉ परमानंद पांडे की जयंती के शुभ अवसर पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित