इंडिया सिटी लाइव 12 फरवरी : कोविड मरीजों के टेस्ट रिपोर्ट के डेटा में की गई फर्जी एंट्री में हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं. जमुई, शेखपुरा और पटना जिलों के सरकारी अस्पतालों में कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट में मरीजों के मोबाइल नंबर की जगह सिर्फ 0000000000 लिखा गया है. गौर करने वाली बात यह है कि कोविड मरीजों की पहचान और उनके सत्यापन का मुख्य जरिया मोबाइल ही था. कई स्वास्थ्य केंद्रों पर फर्जी डेटा भरकर राशि का गबन किए जाने का दावा मीडिया रिपोर्ट में किया गया है.
सबसे ज्यादा गड़बड़ी जमुई सदर में सामने आई है. बिना फोन नंबर के ही लोगों का कोविड टेस्ट कैसे किया गया, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं. यहां पर मोबाइल नंबर की जगह 0200000000 लिखकर सिस्टम में धूल झोंकी गई. कई स्वास्थ्य केंद्रों पर तो मोबाइल नंबर की एंट्री ही नहीं की गई.
वहीं, बिहार में कोरोना जांच की संख्या को बढ़ाने के लिए किए गए कथित फर्जीवाड़े का मामला गुरुवार को राज्यसभा में उठाया गया. RJD के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सदन में इस मामले को उठाते हुए केंद्र सरकार से जांच की मांग की है. वहीं, उनकी मांग को उचित मानते हुए सभापति वेंकैया नायडू ने भी मामले को गंभीर कह कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मामले की जांच करवाने का आग्रह किया है.
शून्यकाल में आरजेडी नेता मनोज झा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि दो-तीन दिनों से बिहार में कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में आंकड़ों में कथित गड़बड़ी होने की खबरें आ रही हैं. उन्होंने कहा ‘ये खबरें चिंताजनक हैं. इनमें दावा किया गया है कि कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में फर्जी डाटा एंट्री की गई हैं. इसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए.’ मनोज झा ने यह भी कहा कि इस तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज पेश करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिए.