INDIA CITY LIVE DESK-मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में छह माह में छह करोड़ के लक्ष्य से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका हमलोग लगाएंगे। आपको बता दे की टीकाकरण को और तेज किया जाएगा। और प्रधानमंत्री के जन्मदिन 17 सितंबर को हमलोगों ने तय किया था कि 30 लाख टीकाकरण करेंगे। लेकिन, इस लक्ष्य को पार करते हुए 33 लाख से अधिक टीकाकरण किया गया।और वे सोमवार को जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे।हालाकि मुख्यमंत्री ने कहा कि टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है। केंद्र सरकार से जो टीका मिलना चाहिए वो मिल रहा है। इसको लेकर राज्य के पदाधिकारी निरंतर केंद्र सरकार से संपर्क में हैं। दूसरी डोज के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।
हमारा लक्ष्य है कि सभी लोगों को दूसरी डोज भी पड़ जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग शुरू से ही इस बात पर जोर देते रहे हैं कि कोरोना की जांच के लिए भी निश्चित तौर पर काम करते रहना है। कोई बाहर से आ रहा है, उसकी वजह से 6-7 केस कहीं-कहीं से निकल जा रहा है। कोरोना से ज्यादा प्रभावित राज्यों से आने वाले लोगों की जांच का प्रबंध किया गया है। ताकि इनकी पहचान हो सके और संक्रमण का फैलाव नहीं हो। मगही और भोजपुरी बोलने वालों को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा दबंग कहे जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई दबंग नहीं है। भाषा को लेकर ऐसी सोच ठीक नहीं है। अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग विभिन्न राज्यों में रहते हैं। बिहार के ही कुछ इलाकों में बंगाल की भाषा बोली जाती है। इसी तरह उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ इलाकों में भी बिहार की भाषा बोली जाती है। अगर किसी को कोई राजनीतिक लाभ लेना है तो वह अलग बात है। हमलोग ऐसी बात कभी नहीं सोचते हैं। उन लोगों को इसका एहसास नहीं कि बिहार एक था। बिहार तो 2000 में दो हिस्से में बंटा। बिहार के लोगों को झारखंड के प्रति पूरा प्रेम है। झारखंड के लोगों को भी बिहार के प्रति प्रेम है। पता नहीं राजनैतिक रूप से लोग क्या बोलते हैं, ये बात समझ में नहीं आती। बिहार-झारखंड तो भाई हैं। एक ही परिवार के सबलोग हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जब बिहार और झारखंड एक था तब बहुत लोग काम करने झारखंड जाते थे। लेकिन, अब कोई नहीं जाता है।