वेटलैंड इंटरनेशनल की टीम 7 से 10 फरवरी तक गोकुल जलाशय का किया निरीक्षण..
बदलेगी दियरांचल की सूरत..
शुरू हुई रामसर प्रोजेक्ट के तहत बदलाव की रूप रेखा..
बक्सर से कपीन्द्र किशोर की रिपोर्ट..
केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन तथास्थानीय लोक सभा सांसद..
श्री अश्विनी कुमार चौबे के अनुरोध पर जिला मुख्यालय बक्सर से तीस किलोमीटर की दूरी पर बिहार -यूपी के सीमावर्ती गंगा तट के समीप पचीस किलोमीटर के दायरे में फैले गोकुल जलाशय की वर्तमान स्थिति, यहाँ के पक्षी, पादप और जैव-विविधता के अध्ययन और संरक्षण के लिए वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया के वैज्ञानिक श्री रवि प्रकाश और श्री अनिमेष कार और देश के जाने माने पक्षी वैज्ञानिक श्री अरविन्द मिश्रा के साथ पादप विशेषज्ञ नरेश पंडित 7 फरवरी से गोकुल जलाशय और इस क्षेत्र के धरौली जैसे अन्य जलाशयों का दौरा किया। वस्तु स्थिति की जानकारी लेगी।
दल में कुशल फोटोग्राफर ऋषि वर्मा भी शामिल रहेंगे I श्री चौबे ने बताया कि इन जलाशयों का विस्तृत अध्ययन कर इनको अन्तराष्ट्रीय स्तर पर रामसर स्थल में शामिल करने का प्रयास किया जायगा I इन्हें प्राकृतिक पर्यटन स्था के रूप में विकसित किया जायगा ताकि बक्सर की प्रसिद्धि बढ़े और यहाँ के युवाओं को पर्यटन के माध्यम से रोजगार भी मिल सके I दुर्लभ प्रजाति के काले हिरन के लिए बक्सर-चौसा पूरे देश के वन्य-जीव प्रेमियों को आकर्षित करता रहा है किन्तु यह बड़े स्तर पर पर्यटकों को अब तक आकर्षित नहीं कर पाया है I इन काले हिरनों का संरक्षण कर इस इलाके को पर्यटन और रोजगार से जोड़ने के भी प्रयास जारी हैं I
गंगा नदी ने मार्ग परिवर्तित करने के समय इस गोकुल जलाशय को बक्सर निवासियों के लिए अपनी जीवनदायी भेंट के स्वरुप समर्पित किया है ताकि यह क्षेत्र अनूठे काले हिरणों के अलावा हिमालयी क्षेत्र के चीन, रूस, साइबेरिया, मंगोलिया, ईराक, ईरान, अफगानिस्तान से आने वाले पक्षियों से यह सम्पूर्ण इलाका रंगीन बना रहे I अरविन्द मिश्रा ने बताया कि हजारो हजार किलोमीटर की दूरी तय कर हमारे यहाँ यदि ये प्रवासी पक्षी नहीं आवें तो हमारे जलाशय बंजर जमीन में बदल जायंगे और हम पीने के पानी की एक-एक बूँद को तरस जायंगे I
गंगा की गोद में बसा यह गोकुल जलाशय धर्मावती जैसी स्थानीय नदियों का संगम भी है जहां जल और यहाँ की जैव विविधता की ओर देश और अंतर्राष्ट्रीय पर सैलानियों को आकर्षित किया जा सकता है I कई राज्यों की मुख्य अर्थ व्यवस्था ही जल पर्यटन के माध्यम से आती है। हमें भी इन संभावनाओं को स्वरुप देना है I