मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन नामकुम बागीचा में फादर स्टेन स्वामी की स्मृति में आयोजित सभा में शामिल हुए, उनकी स्मृति में पौधा रोपण कर उन्हें नमन किया

★मुख्यमंत्री समेत अन्य ने स्टेन स्वामी की याद में दो मिनट का मौन रख उनकी तस्वीर पर पुष्प श्रद्धांजलि अर्पित की

★योजनाएं दलित, वंचितों और आदिवासियों को ध्यान में रखकर बन रहीं हैं
★फादर स्टेन स्वामी के विचारों को मरने न दें
…हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखण्ड

झारखण्ड शहादत देने में पीछे नहीं रहा। भगवान बिरसा मुंडा से लेकर फादर स्टेन स्वामी तक के जीवन को राज्यवासियों ने देखा है। आनेवाली पीढ़ी को भी यह जानना चाहिये। फादर स्टेन स्वामी ने दलित, वंचित, आदिवासी समाज के प्रति सदैव संवेदनशील रहे। फादर स्टेन स्वामी से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात हुई थी। तब यह पता नहीं था कि वे अपने जीवन काल में अमिट लकीर खींचते आ रहें हैं। अब उसका एहसास हुआ। उनका जीवन आसान नहीं था। और वे साधारण व्यक्ति भी नहीं थे। अपने जीवन में उन्होंने हमेशा लोगों को रास्ता दिखाने का कार्य किया था। युगों बाद ऐसे लोग आते हैं, जिनके द्वारा किये गए कार्यों की छाप कभी नहीं मिटती। ये बातें मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने नामकुम बागीचा में फादर स्टेन स्वामी की स्मृति में आयोजित सभा में कही। मुख्यमंत्री ने कहा जीवन है, तो मृत्यु भी है। लेकिन इस जीवनकाल में हमें सकारात्मक कार्य कर विदा लेना चाहिए।

दलित, वंचित और आदिवासियों के प्रति संवेदनशील सरकार

मुख्यमंत्री ने कहा कि दलित, वंचित और आदिवासी समाज की भौतिकवादी युग में विकास की रफ्तार कम है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। मैं अकेले यह कार्य नहीं कर सकता। इसके लिए सभी को व्यक्तिगत प्रयास करना होगा। हालांकि सरकार किसी भी योजना को दलित, वंचित और आदिवासियों की सहभागिता को ध्यान में ही रखकर धरातल पर उतारती है। सरकार इनकी जरुरतों को पूरा करने को प्राथमिकता दे रही है।

स्मृति सभा में आर्च विशप एसजे रांची, एसएफएक्स थिओडोर मस्कारेन्हास, एसएफएक्स, ऑक्सीलिरी बिशप टेलोस्फर बिलुंग जमशेदपुर, फादर अजित खेस, फादर संतोष मिंज, फादर टोनी, प्रोवेनशियल, सिस्टर जनरल, सरना समिति के प्रतिनिधिगण व अन्य उपस्थित थे।

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