बिहार की बेटी ने बढ़ाया बिहार का सात समंदर पार मान
पटना,6 सितंबर. इन दिनों सोशल मीडिया पर धूम है कुछ बेहतरीन फ़ोटो और वीडियो की, जिसमें बिहार का कल्चर, उसकी लोक संस्कृति और पहनावे के साथ हाथों में तिरंगा लिए सड़कों पर सैकड़ो लोगों की आनन्दमयी मुस्कान सबको भा रही है. इन तस्वीरों से ये तो साफ हो जाता है इस बार आजादी का अमृत महोत्सव न सिर्फ भारत में बल्कि भारत से बाहर भी भारतवंशियों ने खूब धूम-धाम से मनाया. सबसे चकित करने वाला तथ्य यह है कि बिहार की इतनी खूबसूरत संस्कृति को आखिर वहाँ प्रेजेंट कौन कर रहा है. यह पहली बार है जब अमेरिका में बिहार के लोक संस्कृति को कोई दर्शा रहा है.
वैसे तो सिलिकॉन वैली, बे-एरिया कैलिफ़ोर्निया में कई वर्षों से स्वतंत्रता दिवस के परेड का आयोजन भारतीय प्रवासी कर रहे हैं, लेकिन इस वर्ष का आयोजन प्रवासी बिहार वासियों के लिए ख़ास है. जहाँ परेड में पहली बार बिहार की झाँकी दिखाई गयी. स्वतंत्रता दिवस परेड पर इन झाँकियों को आयोजित किया कैलिफ़ोर्निया की “ओवरसीज आर्गेनाइजेशन फॉर बेटर बिहार (O2B2)” ने. बिहार वासी इस झाँकी को देखने के बाद फुले नही समा रहे हैं. सभी बिहार वासियों के लिए यह गौरव बढ़ाने वाला पल है क्योंकि बिहार की आमतौर पर बदनाम करने वाली तस्वीर से परे कोई सचमुच सार्थक तस्वीर दिखा बिहार की धरोहर संस्कृति, संगीत, और नृत्य से अमेरिका की गलियों को शोभित ही नही बल्कि इस समृद्ध संस्कृति के लिए उन्हें आपने आकर्षण से लालायित कर रहा है. अमेरिका की जनता ने वहां पहली बार बिहार की खुशबु का आनंद उठाया.
क्या है ये O2B2 ?
आइये जानते हैं कि ये O2B2 क्या है? दअरसल O2B2 (ओवरसीज आर्गेनाइजेशन फॉर बेटर बिहार) का शार्ट-फॉर्म है. इसकी फाउंडर हैं बिहार की बिटिया मनीषा पाठक,को-फाउंडर हैं कल्पना कुमारी. मनीषा पाठक बिहार के जहानाबाद जिला की रहने वाली हैं और उनकी शादी भोजपुर जिला में कायमनगर में हुई है. पटना नाउ को जब सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों से सामना हुआ तो अमेरिका रह रही मनीषा पाठक से दूरभाष पर संपर्क कर आयोजन से सम्बंधित जानकारी ली. मनीषा ने बताया कि लगभग 25 वर्षों से वे अमेरिका में हैं और स्वतंत्रता दिवस परेड के आयोजन में शामिल हो रही हैं. सिस्को में वे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. उन्होंने कहा कि भारत लगभग हर प्रदेश के लोग सिलिकन वैली में हैं और हर वर्ष इस परेड में वे अपने-अपने राज्यों की संस्कृति को प्रदर्शित करते थे. सबकी अपनी ऑर्गनाइजेशन है. बस बिहार के लोगों ने ऐसा कभी प्लान नही किया था. हर साल मनीषा के मन मे अपने बिहार की धरोहर और संस्कृति को परेड में शामिल करने की ललक तो होती लेकिन ग्रुप नही होने से प्लान आगे नही बढ़ पाता था. मनीषा ने मन में ठाना
तीन दशक में पहली बार संगठन एक वर्ष पहले बनाया. बिहारियों के लिए एक संगठन बिहार के बेगूसराय,की बेटी कल्पना कुमारी के साथ मिल कर बनाया जिसका नाम दिया -“ओवरसीज आर्गेनाइजेशन फॉर बेटर बिहार(O2B2).” फिर क्या था लोगों को जोड़ा और तैयारी शुरू हुई जिसमें बढ़-चढ़कर सहयोग किया उनकी दोस्त संस्था की को-फाउंडर कल्पना ने. लेकिन झांकी का निर्णय ७ सप्ताह पहले हुआ. बिहार से जुड़ी हर चीजों चाहे वो अशोक चक्र हो, गौतम बुद्ध हों या अन्य पहचान, सबको खुद से इस ग्रुप के लोगों ने बनाया जिसे झाँकी में सुसज्जित किया गया.दोनों दोस्तों के मिले जुले प्रयास ने इस कार्यक्रम का तनाबाना बुना और तैयार हो गया यह कार्यक्रम जिससे सभी बंध गए.
मनीषा ने भारत माता का किरदार निभाया और ग्रुप के लोगों ने झिझिया, कजरी, झूमर समेत कई लोग नृत्य एवं गीतों का प्रदर्शन किया. लगभग एक माइल की दूरी तय कर परेड का समापन हुआ.
पटना नाउ ने जब यह पूछा कि इस परेड के बाद क्या रेस्पॉन्स है वहाँ के लोगों का? इसपर मनीषा बहुत भावुक हो गयीं और उन्होंने कहा कि अमेरिका में बच्चों को पालना और जॉब करना बहुत ही मुश्किल भरा है. यहाँ संयुक्त परिवार नही होने के कारण बच्चों को घर में दादा-दादी,चाचा-चाची जैसे रिश्तों वाला लाड़-प्यार नही मिल पाता है. इसका रिजल्ट ये होता है कि बच्चे अपने रुट से अलग हो जाते हैं. लेकिन खुशी इस बात की है कि इस परेड में बिहार की इस झाँकी ने सबसे ज्यादा बच्चों को जोड़ा,उनके परिवार को जोड़ा. उनकी खुशी का बयान नही किया जा सकता. आज उन सबको ऐसा लग रहा है जैसे उनका एक बड़ा परिवार हो गया है. इसके साथ ही अमेरिका वासियों ने भी जितना इसे सराहा और सम्मान दिया वह यादगार है. इन सबसे परे सात समंदर पार से इस आयोजन के तस्वीरों को जो पोस्ट के बाद बिहार और भारत के लोगों का प्यार मिल रहा है उससे अविभूत हूँ. संतुष्टि हो रही है कि अपनी संस्कृति,अपनी मिट्टी के लिए कुछ कर रही हूँ. उन्होंने कहा कि रोजी-रोटी के लिए हम भले ही कहीं रहे लेकिन दिल में बिहार ही बसता है. जब हमने ये पूछा कि पैसे के पीछे भागने वाले यूथ के लिए आपका संदेश क्या होगा तो जवाब दिया- “आने वाली पीढ़ियों को हम अपने रूट से सिर्फ जोड़ दें तो फिर पैसे के लिए भागने की जरूरत नही है, वर्ना संस्कृति के खत्म होने के बाद किसी का अस्तित्व नही रहता है.”