मेलों से से गुम हुई मेले की निशानी… बदल गये बाजार बदल गयी कहानी…

मेलों से से गुम हुई मेले की निशानी…
बदल गये बाजार बदल गयी कहानी….

हस्तशिल्प, हथकरघा और लकड़ी से बनी वस्तुऐं कभी बक्सर के मेले की पहचान हुआ करती थी..

नेपाल के तराई क्षेत्र के साथ दूर दराज से पंहुचतें थे दुकानदार..

बक्सर से कपीन्द्र किशोर की रिपोर्ट..

27/11/2021

भेड़ के उन का कंबल..नगरा जुता..लकड़ी के खिलौने के साथ..कई अन्य हस्तनिर्मित वस्तुओं का लगता था बाजार..

बक्सर मेलों का शहर है..यहाँ सालों भर मेले लगते रहते है और मेलों में होता है रोजगार…
स्वदेशी उत्पादों के साथ हस्तनिर्मित वस्तुओं ही कभी इन मेलों की पहचान हुआ करती थी…लेकिन समय के साथ परिवेश भी बदल रहा है ..जिसका खामियाजा आज इन मेलों में दुकान लगाने वालें लोग भी उठा रहे है..।

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