महर्षि विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण के साथ की थी पांच कोस की यात्रा..
पांच मुनियों से लिया था आशिर्वाद..
अगल अलग स्थानों पर बनता है अगल अलग पकवान।
पहले पड़ाव पर गुड़हा जलेबी से होती है शुरुआत।
बक्सर से कपीन्द्र किशोर की रिपोर्ट
24/11/2021
बक्सर की प्रसिद्ध पंचकोसी परिक्रमा मेला आज शुरू हो गया… जिसके लिए दूर-दराज से श्रद्धालु कल रात से ही अहिरौली के अहिल्या घाट पर पहुंचने प्रारंभ हो गए थे पांच अलग-अलग जगहों पर लगने वाले इस मेले को पंचकोशी का मेला कहा जाता है जो कि धार्मिक आस्था का केंद्र भी है.. बक्सर गंगा स्नान के बाद शुरू होने वाले इस पंचकोसी परिक्रमा को 5 दिन तक अलग-अलग स्थानों परमनाया जाता है तथा श्रद्धालुओं द्वारा भ्रमण के साथ प्रसाद ग्रहण किया जाता है…जिसके लिए आज जिला मुख्यालय से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान करके अहिरौली के लिए प्रस्थान किया …ऐसी मान्यता है कि यज्ञ सफल करने के लिए भगवान राम व लक्षमण महर्षि विश्वामित्र के साथ अगहन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को बक्सर पहुंचे थे। वे सबसे पहले गौतम ऋषि के आश्रम पहुंचे। जहां अहिल्या का उद्धार हुआ। यहां मेले का पहला पड़ाव होता है। इस गांव का नाम अहिरौली है। जहां अहिल्या का मंदिर मौजूद है। दूसरा पड़ाव होता है नारद मुनि के आश्रम पर। जिस स्थान का नाम आज भी नदांव है।
वहां नर्वदेश्वर महादेव का मंदिर है। जहां लोग खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। तीसरा पड़ाव भभुअर गांव होता है। जहां कभी भार्गव ऋषि का आश्रम हुआ करता था। यहां दही-चूड़ा का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। चौथा पड़ा होता है उद्दालक मुनि के आश्रम में। जिस गांव का नाम नुआंव है। यहां भी प्राचीन शिव मंदिर है। जहां लोग सत्तू और मूली का प्रसाद ग्रहण करते हैं। पांचवां और अंतिम पड़ाव होता है बक्सर शहर खासकर चरित्रवन का क्षेत्र। जहां लोग लिट्टी-चोखा बनाते और खाते हैं।