गोरखपुर की श्रीति ने पराली से कोविड अस्पताल बना दिया. दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोर्ब्स’ में श्रीति को एशिया के 30 सबसे मेधावी लोगों में शामिल किया गया है. 30 साल से कम उम्र में श्रीति को यह सम्मान खेती के वेस्टेज को बेहतर तरीके से प्रयोग करने पर मिला है.
पुआल और धान के भूसी से भी कोविड अस्पताल बनाया जा सकता है,लेकिन यह कारनामा देश की एक बेटी ने कर दिखाया है. उसकी मेहनत, काबिलियत और इच्छाशक्ति ने एक ऐसे कोविड अस्पताल की नींव रख कर दी है, जिसमें 50 इंसानी जानों का इलाज चल रहा है. वो भी दुनिया के सबसे खतरनाक बीमारी कोविड 19 का. श्रीति अपनी इसी काबिलियत के बल पर आज दुनिया भर में ना सिर्फ शुमार हो गई हैं, बल्कि अपने देश का उन्होंने नाम रौशन कर दिया
दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोर्ब्स’ में श्रीति को एशिया के 30 सबसे मेधावी लोगों में शामिल किया गया है, जिन्होंने अपने कार्य और शोध से समाज को कुछ दिया है. 30 साल से कम उम्र की कैटेगरी में श्रीति को इंडस्ट्री और मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए यह सम्मान मिला है. गोरखपुर की रहनेवाली श्रीति को दरअसल यह सम्मान खेती के वेस्टेज को बेहतर तरीके से प्रयोग करने पर मिला है. श्रीति ने पराली और धान की भूसी से जो कोविड अस्पताल तैयार किया है, वो इको फ्रेंडली के साथ कार्बनडाई ऑक्साइड मुक्त भी है. पटना से सटे फतुआ के मसाढ़ी गांव में श्रीति का यह अनोखा प्रयोग डेडिकेटेड कोविड अस्पताल सीना ताने पराली और धान की भूसी पर खड़ा है. इस अस्पताल में 50 बेड की क्षमता है और सभी 50 बेडों पर कोविड के मरीजों का अभी इलाज चल रहा है.