आप सभी को संध्या सुमन का सादर नमस्कार, मैं अपनी स्व रचित कविता जिसका शीर्षक है मुश्किलें मुकद्दर बदल जाएगी
के माध्यम से आपलोगो को थोड़ा रोमांचित, उत्साहित, और प्रेरणा देने का काम कर रही हूं, ताकि इस मुश्किल दौर में भी आपका वक्त अच्छे से गुजर जाए।
मुश्किलें मुकद्दर बदल जाएगी
ये रात जरा सी है
कुछ देर ही बाकी है
रख यकीन ये दुख के
बादल आज हट जाएगा
फिर पुराने दिन
ऑ मुसाफिर
खुद चल के आएगा
माना कि मुश्किल है
मुकद्दर ये बदल जाएगा
रख यकीन ये दुख के बादल
आज हट जाएगा।
तू खुद से ही शरुआत कर
अपने हाथ से बदलाव कर
ना फ़र्ज़ से हो बेखबर
तूने बहुत रख लिया सब्र
हा .. अभी नहीं तो कभी नहीं
अब कर तू बदलाव
बिन कोशिश किए अब
ना जी मुसाफिर
अब उठ जरा तू जाग।
रख हौसला कर फैसला
हमे वक़्त बदलना है
माना कि मुश्किल है
पर अब डरना ना
ऑ मुसाफिर …
रख यकीन ये मुश्किलें
मुकद्दर भी बदल जाएगा
ये दुख के बादल भी हट जाएगा।
कृपया मास्क जरूर लगाएं, दो गज की दूरी और सैनिटाइजर है जरूरी। (धन्यवाद)
- संध्या सुमन (शाम)
मैनेजमेंट स्कॉलर
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट,