बिहार के कॉलेजो में सेशन देर होने से बढ़ी समस्या

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शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव हुए हैं बिहार राज्य में। गत वर्षों में बहुत से नए कॉलेज खुले हैं। इन्ही सब कारणों से बिहार राज्य के शिक्षा प्रणाली को लेकर सरकार भी बहुत प्रयत्न कर रही है। किन्तु स्थिति यह है की इतना विकास होने के बावजूब कई कॉलेजो तथा विश्वविद्यालयों में अब भी सेशन लेट चल रहा है। यही वजह है की बहुत सारे विद्यार्थी योग्य होते हुए भी प्रतियोगिताएं से वंचित रह जा रहे हैं. चाहे वह पटना विश्वविद्यालय हो या पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, यह कमी हर किसी में दिखाई दे रही है।

यही कारण है की भारी तादात में स्टूडेंट्स रोजगार की मांग कर रहे और हर एक सीट के लिए कम से कम तो 2000 बच्चे फॉर्म भर रहे और प्रयास कर रहे है। परन्तु परिणाम निराशाजनक ही आये है। आज की तारीख में नितीश कुमार ने शिक्षकों की वृहद् रूप में बहाली की है. आज २ नवंबर को गाँधी मैदान में मुख्यमंत्री नितीश कुमार सभी को नियुक्ति पत्र प्रदान करने वाले हैं। फिर भी कई युवा अभी भी अपनी डिग्री का ही इंतज़ार कर रहे ताकि वो अपनी क्षमता को साबित कर पाए समाज के आगे। लेकिन समस्या यह है की सेशन लेट होते हुए भी अधिकारीयों का ध्यान नहीं है और न ही इसके लिए कोई ठोस कदम उठाये जा रहे।  केवल पटना ही नहीं बल्कि नालंदा, गया,पूर्णिया , आरा, भोजपुर सारे जगहों पर यही हल्ला मचा हुआ है जिसका उत्तर न शिक्षण विभाग के पास है और ना ही उच्च अधिकारीयों के पास है.स्टूडेंट्स के भी सब्र का बाँध टूट रहा और वह भी इस समस्या से परेशान हो कर इसके समाधान की लगातार मांग कर रहे।

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अभी ज़रूरत है की सरकार का ध्यान इस ओर खिंचा जा सके ताकि शिक्षण संस्थानों में हो रहे इस विलम्ब को समय रहते रोका जा सके तथा विद्यार्थियों को सही समय पर सही अवसर मिल सके और वह एक प्रगतिशील बिहार के निर्माण में अपना योगदान दे सकें।

 

– अनन्या सहाय की रिपोर्ट

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