केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पांच नवम्बर को से बिहार दौरे पर आ रहे हैं। उनका यह कार्यक्रम लोकसभा प्रवास कार्यक्रम के तहत हो रहा है। गृह मंत्री का पिछले 10 महीने में यह पांचवां बिहार दौरा है। शाह मुजफ्फरपुर पताही हवाई अड्डे पर आयोजित किसान रैली में करीब सवा दो घंटे रहेंगे। अबतक के तय कार्यक्रम के मुताबिक वो हवाई जहाज से दिल्ली से पटना पहुंचेंगे। वहां से हेलीकॉप्टर से पताही हवाई अड्डे पर पौने एक बजे पहुंचेंगे। तीन बजे वे फिर पटना के लिए रवाना हो जाएंगे। वहीं, सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस बार शाह के मिशन बिहार के तहत मुजफ्फरपुर में क्या रणनिति होगी?
दरअसल, देश में अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है। इस चुनाव को लेकर भाजपा सभी 40 लोकसभा सीटों पर रणनीति बनाकर काम कर रही है। लेकिन पार्टी ने 10 ऐसी सीटों को चिह्नित किया है जहां उसने अब तक चुनाव नहीं लड़ा है। इन सीटों पर अब तक भाजपा के कोई न कोई सहयोगी दल ही चुनाव लड़ते रहे हैं। ऐसी सीटों में किशनगंज, नवादा, गया, झंझारपुर, कटिहार, मुंगेर, पूर्णिया, सुपौल, वैशाली व वाल्मीकिनगर शामिल है। ऐसे में पार्टी ने यह तय किया है कि भाजपा की केंद्रीय टीम इन सीटों पर रैली करेगी।
इसके , मुजफ्फरपुर की उनकी रैली को वैशाली के दृष्टिकोण से ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मुजफ्फरपुर की रैली से अमित शाह उत्तर बिहार में पड़ने वाले मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण जिले को साधेंगे। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार में उनकी 8 वीं रैली है। अमित शाह अब तक अपनी 7 रैलियों के दौरान 17 लोकसभा क्षेत्रों और 100 से ज्यादा विधानसभा के इलाकों को कवर कर चुके हैं। ऐसे में अमित शाह की मुजफ्फरपुर रैली की टाइमिंग बिहार की सियासत के लिहाज से काफी अहम है।
वहीं,अमित शाह के मुजफ्फरपुर रैली को लेकर लोगों के बीच जो सबसे बड़ा सवाल है वो ये है कि शाह के इस रैली के पीछे की वजह क्या है। जब इन सवालों के जवाब तलाश किए जाते हैं तो सबसे पहले यह बातें आती है कि भाजपा के चाणक्य महागठबंधन के जाति वोट को काट दे सकते हैं। हम ऐसा इस वजह से कह रहे हैं क्योंकि बिहार सरकार जातीय गणना की रिपोर्ट जारी कर चुकी है। ऐसी संभावना है कि जातियों की नई रिपोर्ट के आधार पर सरकार बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ा सकती है। इसे सीएम नीतीश कुमार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। ऐसे में शाह मुजफ्फरपुर से जाति के खिलाफ नया एजेंडा सेट कर सकते हैं।
जानकारी हो कि, राजपूत और भूमिहार बाहुल इलाका होने के बाद भी 2014 से बीजेपी इसे अपने सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ते रही है। ऐसे में शाह के इस दौरे को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि यहां से भाजपा अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है। इससे पहले पिछले 2 चुनाव से लोजपा इस सीट से जीत रही है। 2014 में पार्टी के राम किशोर सिंह तो 2019 में वीना देवी यहां से चुनाव जीती थीं।
1999 से मुजफ्फरपुर लोकसभा से एनडीए के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं। 2014 से लगातार यहां से भाजपा के अजय निषाद सांसद हैं। ऐसे में मुजफ्फरपुर को भाजपा का सुरक्षित सीट माना जाता है। लेकिन, पार्टी के सूत्र यह कहते हैं कि सांसद अजय निषाद और पार्टी के भीतरी कलह के कारण यहां एंटी इनकंबेसी की स्थिति बन गई है। ऐसे में अमित शाह की मुजफ्फरपुर यात्रा से इसका समाधान निकलने की उम्मीद है।
बताते चलें कि, मजफ्फरपुर में अमूमन में पॉलिटिकल रैली सिकंदरपुर या खुदीराम स्टेडियम में होता है। पताही एयरपोर्ट पर इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली हुई थी।अब अमित शाह की रैली हो रही है। ऐसे में इस जगह को सियासी दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है। रैली का शहर भले मुजफ्फरपुर हो, लेकिन ये इलाका वैशाली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। ऐसे में निगाहें भले मुजफ्फरपुर में है, लेकिन अमित शाह का निशाना वैशाली को साधना है।
- Report by Ananya Sahay