नीतीश कुमार की सरकार ने हिंदू विरोधी मानसिकता। हिंदु भावना को आघात करने वाला या फैसला लिया गया है। प्राथमिक स्कूल हो या हाई स्कूल हो उसमें हिंदुओं के जितने पर्व त्योहार हैं चाहे रामनवमी हो या फिर जन्माष्टमी और रक्षाबंधन उन सारे पर्व त्योहार की छुट्टियां को रद्द कर दिया गया है। इतना ही नहीं दिवाली, छठ, दुर्गा पूजा की जो छुट्टियां थी उसमें भी बड़े पैमाने पर कटौती की गई। जिसे कही से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है ।
वही मुस्लिम समुदाय के छुट्टियों को बढ़ा दिया गया है। हिंदुओं के भगवान राम और कृष्णा है ऐसे में रामनवमी और जन्माष्टमी की छुट्टी को भी आपने रद्द कर दिया। बिहार के अंदर लाखों महिलाएं जितिया का व्रत करती है उसे छुट्टी को भी अपने रद्द कर दिया। विशेष रूप से हिंदुओं की जितनी छुट्टियां थी उसको रद्द कर दिया गया। नीतीश कुमार यह अच्छी तरह समझने की इसको लोग कदापि स्वीकार नहीं करेंगे।
नीतीश कुमार जी का यह आदेश यह बतलाता है कि मुसलमान को खुश करने के लिए उनकी छुट्टियां को बढ़ाया गया है। लेकिन बिहार के लोग चुप नहीं रहेंगे और सड़कों पर आकर जवाब मांगेंगे। आपने इससे पहले भी सी तरह का निर्णय लिया था, जिसका विरोध हुआ तो आपको वापस आना पड़ा। इस बार भी आपको इसे वापस लेना होगा, वरना जनता जवाब मांगेगी।
उधर उर्दू स्कूल को लेकर दिए गए फैसले पर उसने कहा कि यह सेकुलर राज्य है। आप यदि इस तरह का निर्णय लेते हैं तो यह कहां उचित है। पूरे राज्य में एक दिन छुट्टी होती है तो वहां क्यों अलग तरह की छुट्टियां होगी। यह जो तुगलकी फरमान है इसको भाजपा कभी स्वीकार नहीं करेगी।