एक और RSS नेता ने बीजेपी को ‘अहंकारी’ और इंडिया ब्लॉक को दिया’राम विरोधी’ करार

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लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद जिन बातों की चर्चा सबसे अधिक हो रही है। वह है यूपी में भाजपा को उम्मीद से कम सीट आना और दूसरी बात कि इस चुनाव में भाजपा को अकेले दम पर बहुमत न हासिल करना। इस चर्चा के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सत्तारूढ़ बीजेपी को ‘अहंकारी’ और विपक्षी इंडिया ब्लॉक को ‘राम विरोधी’ करार दिया है।

इंद्रेश ने कहा, राम सबके साथ न्याय करते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव को ही देख लीजिए। जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अंहकार आ गया। उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बना दिया। लेकिन जो उसको पूर्ण हक मिलना चाहिए, जो शक्ति मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने अहंकार के कारण रोक दी। जिन्होंने राम का विरोध किया, उन्हें बिल्कुल भी शक्ति नहीं दी। उनमें से किसी को भी शक्ति नहीं दी। सब मिलकर भी नंबर-1 नहीं बने और नंबर-2 पर खड़े रह गए। इसलिए प्रभु का न्याय विचित्र नहीं है। सत्य है।

इंद्रेश कुमार जयपुर के पास कानोता में ‘रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह’ को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने यह बात कही है। हालंकि, उन्होंने किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया। लेकिन,उन्होंने अपने बयान में किसी पार्टी का नाम नहीं लिया परंतु उनका इशारा साफ तौर पर पक्ष-विपक्ष की तरफ संकेत दे रहा था।

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इंद्रेश कुमार ने कहा कि जिस पार्टी ने भक्ति की, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया गया। लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बना दिया गया। उन्होंने स्पष्ट रूप से इंडिया ब्लॉक का जिक्र करते हुए कहा और जिनकी राम में कोई आस्था नहीं थी, उन्हें एक साथ 234 पर रोक दिया गया। उन्होंने आगे कहा, लोकतंत्र में रामराज्य का विधान देखिए, जिन्होंने राम की भक्ति की लेकिन धीरे-धीरे अहंकारी हो गए, वो पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन जो वोट और ताकत मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने उनके अहंकार के कारण रोक दी।

इससे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि एक सच्चे ‘सेवक’ में अहंकार नहीं होता और वो ‘गरिमा’ बनाए रखते हुए लोगों की सेवा करता है. नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने आगे कहा था, जो सच्चे सेवक हैं, जिसे वास्तविक सेवक कहा जा सकता है, वो मर्यादा से चलता है। उस मर्यादा का पालन करके जो चलता है, वो कर्म करता है लेकिन कर्मों में लिपटा नहीं होता। उसमें अहंकार नहीं आता कि मैंने किया। वही सेवक कहने का अधिकारी रहता है. एक सच्चा ‘सेवक’ गरिमा बनाए रखता है। वो काम करते समय मर्यादा का पालन करता है। उसे यह कहने का अहंकार नहीं है कि ‘मैंने यह काम किया’. सिर्फ उस व्यक्ति को सच्चा ‘सेवक’ कहा जा सकता है।

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