इंडिया सिटी लाइव(PATNA)27 दिसम्बर: रविवार को जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अधिवेशन में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से सबको चौंकाते हुए आरसीपी सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान थमा दी.
जनता दल यूनाइटेड के अंदर आरसीपी की स्थिति लंबे समय से नीतीश कुमार के नंबर दो रही है, ऐसे में इस बदलाव को लेकर लोगों को बहुत अचरज नहीं है. ये भी कहा जा रहा है कि आरसीपी भले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हों लेकिन पार्टी की कमान सीधे नीतीश कुमार के हाथों में ही रहेगी.
नीतीश कुमार के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने और आरसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की कहानी इतनी सपाट नहीं होगी, इस ओर इशारा करते हुए पटना के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार मणिकांत ठाकुर ने बताया, “लोगों को ध्यान होगा मई, 2019 में केंद्र सरकार में जेडीयू के शामिल होने पर आरसीपी सिंह के मंत्री बनने की चर्चा सबसे ज़्यादा थी, लेकिन बाद में कोटे से केवल एक मंत्री बनाए जाने के विरोध में नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फ़ैसला लिया. उनकी प्रतिक्रिया थी कि वे केवल भागीदारी के लिए भागीदारी नहीं चाहते. लेकिन इसके बाद बिहार सरकार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया जिसमें बीजेपी का कोई मंत्री नहीं बनाया गया.”
मणिकांत ठाकुर के मुताबिक, “इसके बाद से लेकर बिहार विधानसभा चुनाव तक आरसीपी सिंह बहुत सक्रिय नहीं देखे गए. नीतीश जी के आस पास अशोक चौधरी, ललन सिंह जैसे नेता ज़्यादा दिखे लेकिन आरसीपी की सक्रियता कम रही. वे नीतीश के साथ किसी समारोह में भी नहीं दिखे. कहीं ना कहीं उनकी नाराज़गी थी.”