इंडिया सिटी लाइव 25 जनवरी : रूपेश सिंह हत्याकांड के 13 दिन गुजर जाने के बद भी एसआईटी या काेई भी एजेंसी यह पता नहीं लगा सकी है कि उनकी हत्या का क्या माेटिव था. कभी पुलिस की जांच एयरपाेर्ट पार्किंग के विवाद पर टिक रही है ताे कभी टेंडर पर. रूपेश की हत्या की सूई बिल्डर के इर्द-गिर्द घूमी ताे कभी रूपेश की राजनीतिक कद व अन्य कारणाें पर. अब तक इस केस में जितनी जांच एजेंसियां सामने आई हैं उतने ही कारण भी आए हैं.
पटना में यह पहला ऐसा हाईप्राेफाइल हत्याकांड है जिसमें 13 दिन गुजर जाने के बाद भी पुलिस किसी कारण का खुलासा नहीं कर सकी है. इस मामले में पुलिस करीब 200 से अधिक लाेगाें से पूछताछ कर चुकी है जिनमें से 50 से अधिक काे हिरासत में लिया जा चुका है. पुलिस ने इस केस में छापेमारी में काेई काेर-कसर नहीं छाेड़ी है. एसटीएफ, एसआईटी ने आधा दर्जन बाइकराें काे भी पकड़ा, उनसे पूछताछ करने में जुटी है.
पुलिस की टीम गाेवा से लेकर दिल्ली तक छान आई. यूपी से लेकर झारखंड के कई जिलाें में दबिश बनाई पर नतीजा सिफर ही रहा. दो टीमें फिर दिल्ली और झारखंड गई हुई हैं लेकिन सवाल यह है कि एसआईटी, एसटीएफ, व सीआईडी उनकी हत्या के कारण तक क्याें नहीं पहुंच पा रही है. सूत्राें का कहना है कि काेई कारण स्थापित नहीं हाे रहे हैं. कुछ दिनाें तक जांच की दिशा ठीक चलती है पर टेक्निकल व माेबाइल का सीडीआर बाद में पता नहीं लग रहा है.
इधर पुलिस की छापेमारी हाेने से पटना के छुटभैये अपराधियाें में हड़कंप मच गया. पुलिस की गिरफ्तारी और पूछताछ के डर से उन्हाेंने पटना छाेड़ दिया. सूत्राें के अनुसार, इन्हीं लाेगाें से जानकारी मिल जाती कि किस शूटराें के गिराेह ने वारदात काे अंजाम दिया. पुलिस जेल तक खंगाल आई पर वहां से भी काेई ठाेस सुराग नहीं मिला, हालत यह है कि रूपेश हत्यकांड में शामिल शूटराें काे गिरफ्तार करने और इसे लाॅजिकल कंक्लूजन तक ले जाने में एसआईटी दिन-रात जुटी है.
एसआईटी इस केस में बिल्डर, गुजरात से पकड़ कर लाए गए ठेकेदार से भी पूछताछ कर चुकी है. रूपेश के परिजनाें से कई दाैर पूछताछ हाे चुकी है. एयरपाेर्ट, पीएचइडी से जानकारी जुटाने के बाद छपरा, गोपालगंज से जुड़े सात टेंडरों की जांच कर रही है. इस मामले में कई ठेकेदार, विभागीय अधिकारी से लेकर रूपेश के रिश्तेदारों के करीबियों और उनके कर्मियों से भी पूछताछ कर चुकी है.
हर दिन नई कहानी आ रही सामने. कई बार तो ऐसा लगा रहा है जैसे ठोस साक्ष्य मिल चुके है, लेकिन जब कनेक्शन जोड़ा जा रहा है तो कहानी कुछ और ही सामने आ जा रही है, ऐसे में कुछ भी कहना जल्दीबाजी है. एसआइटी भी इस केस में जब तब लाइनर और शूटर को गिरफ्तार नहीं करती, हत्या की गुत्थी इतनी आसानी से नहीं सुलझेगी.