कोरोना ने ना सिर्फ सियासतदानों के चेहरे को बेनकाब किया है बल्कि जीवन जीने के तौर तरीके को बदलने के लिए मजबूर किया है –

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भाइयों और बहनों
कोरोना संक्रमितओं की संख्या भारत में पूरे दुनिया के प्रति दिन होने वाले संक्रमितओं की संख्या कि भारत में करीब आधी है। कई दिनों से जहां भारत में संक्रमितओं की संख्या 4 लाख से भी ज्यादा है , वही कोरोना के मार से 4 हजार से अधिक लोग मौत को आलिंगन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं!
पूरी स्थिति इतनी भयानक और डरावनी है कि लोग सर्वत्र डरे हुए , शहमें हुए कि कर्तव्य विमूढ़ हैं!
इस डरावनी परिस्थिति में वैज्ञानिकों के द्वारा तीसरी लहर के लिए देश को आगाह और सचेत किया जा रहा है । दूसरी लहर की भी आशंकाएं थी, सक्षम लोगों ने आगाह किया था और फिर कर रहे हैं । लेकिन देश के अन्य लोगों के अलावे सियासतदानों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ में लाखों जान को कोरोना के हवाले कर दिया। करोड़ लौग को बेरोजगार भी …..!
आज देश के बड़े हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाएं मानो मरघट वन गया हो , कहीं रोदन है , तो कहीं कंदन, मरीजों की भर्ती लेने से मना करते अस्पताल, एवं एंबुलेंस की कमी में, रिक्शा, ठेला, टमटम ,पर जाते कोरोना मरीज तो कहीं ऑक्सीजन के अभाव में तड़प – तड़प कर मरते लोग , कहीं तो दवा की कलावजारी , तो हवा कि जमाखोरी।
कैसी विडंबना है …?
कहीं कफ़न के लिए मारा-मारी, कहीं नया -नया बनता शामशान, तो छोटा पड़ता कब्रिस्तान ! परिस्थिति कोरोना ने नहीं पैदा किया है, पैदा आखिर कोन किया ….? अब यह राज नहीं बच गाय ,कोरोना ने राज से पर्दा हटाया नहीं बल्कि सब को बे पर्दा कर दिया है
उदारीकरण के बाद भारत सबसे तेजी से उभरता हुआ अर्थव्यवस्था है। स्वस्थ भारत, 5 ट्रिलियन के आर्थिक व्यवस्था का भारत का सपना दिखाने वाले सियासत दानों को देखिए, लोकलाज भूलकर जनता की जान लेवा बीमारी से कहीं विधानसभा चुनाव, तो कहीं ग्राम पंचायत चुनावो में गर्जन – तर्जन करते , कोरोना प्रोटोकॉल , 2 गज की दूरी मास्क है जरूरी की धज्जियां उड़ाने में व्यस्त रहे है। तो कहीं सरकारी पुलिस के संरक्षण में कहीं गंगा में शाही स्नान ,तो और अन्य धार्मिक मजहबी अनुष्ठान में व्यस्त और न्यसत रहे हैं।
हम आस्था पर सवाल नहीं उठाना चाहते हैं लेकिन कोरोना ने सच्चाई से कितना पर्दा उठाया है, वक्त का तकाजा है कि आम लोगों को भी पुरानी दकियानूसी परंपराओं और विचारों को छोड़ना होगा । हमने पहले भी परिस्थिति वश छोड़ा है ,अपनों को बदला है सियासतदानों को भी बदला है।
आब वक्त आ गया है ,जीने का ढंग बदले , कथनी और करनी में फर्क करने वालों को बदलें , अगर नहीं बदले तो प्रकृति बदल देगा , हम अपने आप को बदलेंगे तो सुकून मिलेगा ,हानि कम होगी ,अस्तित्व की भी रक्षा होगी ।
1:- दो गज कि दूरी मास्क है जरूरी ।
2:- हम भी बचेंगे दूसरों को भी बचाएंगे ।।
3 :- हम मिलजुल कर कोरोना को जरूर हरायेगे।

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सतीश कुमार पूर्व विधायक
सह: संयोजक लव-कुश अतिपिछड़ा एकता मंच

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