आज बीस दिनों आरा के रंगकर्मी,चित्रकार,पत्रकार और भोजपुरी कला को मान-सम्मान दिलाने के लिए भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा के बैनर तले आन्दोलन हो रहा है।
आरा : 20 जून 2021
भारत सरकार और रेलवे प्रशासन द्वारा भोजपुरी चित्रकला को अवसर नहीं देना इसके साथ अन्याय करना है। पूर्व के राजसत्ता द्वारा भोजपुरी चित्रकला के साथ भेदभाव करते हुए इसे मौका नहीं प्रदान किया गया।उपरोक्त बातें वीर कुँवर सिंह विश्विद्यालय के हिंदी और भोजपुरी भाषा के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं जलेस,बिहार के अध्यक्ष प्रो नीरज सिंह ने भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा द्वारा भोजपुरी चित्रकला को सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए सकारात्मक गतिविधियों के माध्यम से चलाये जा रहे आंदोलन के 18वें दिन अपना समर्थन व्यक्त करते हुए जनता से संवाद के अंतर्गत कही।जनता के संवाद के अलावा मोर्चा के कोषाध्यक्ष एवं चित्रकार कमलेश कुंदन के निर्देशन में भोजपुरी चित्रकला के जागरूकता प्रसार हेतु चित्रकार रूपा कुमारी, रुखसाना परवीन आदि द्वारा मास्क पर भोजपुरी पेंटिंग किया गया।जिसे बाद में आम लोगों के बीच वितरित भी किया गया।एबीवीपी के अमरेंद्र शक्रवार ने कहा कि सामूहिक प्रयास से ही भोजपुरी चित्रकला को इसका उचित स्थान प्राप्त हो पायेगा। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल राज ने कहा कि हमारी भोजपुरी संस्कृति अत्यंत समृद्ध है।गीत,चित्र,कथाएं हमारी सशक्त अभिव्यक्ति का प्रमाण हैं।
रंगकर्मी मनोज सिंह ने कहा कि भोजपुरी सांस्कृतिक विरासत के साथ अब दोयम दर्जे का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।हमारा अधिकार हमें देना होगा।मोर्चा के संयोजक भास्कर मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि यह आंदोलन न केवल भोजपुरी चित्रकला को इसके लक्ष्य तक पहुँचाने का कार्य करेगा अपितु भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने से लेकर भोजपुरी गीतों में बढ़ रही अश्लीलता को रोकने का भी कार्य करेगा।रंगकर्मी रवींद्र भारती ने कहा कि पूर्व मध्य रेलवे प्रशासन को आगे बढ़कर कलाकारों,सामाजिक कार्यकर्ताओं, रंगकर्मियों,बुद्धिजीवियों आदि की भावनाओं का सम्मान करते हुए भोजपुरी चित्रकला को यथाशीघ्र अवसर देना चाहिए।मंच संचालन करते हुए रंगकर्मी अशोक मानव ने कहा कि यह अत्यंत हर्ष की बात है कि विभिन्न धड़ो के लोग आज भोजपुरी के लिए सकारात्मक ऊर्जा के साथ एक हो भोजपुरी के मान सम्मान के लिए मोर्चा के सदस्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।रंगकर्मी कृष्णेन्दु ने अपने उद्बोधन में कहा कि भोजपुरी की माटी में कला रची बसी हुई है।हर गाँव में पारंपरिक लोकसंस्कृति विद्यमान है।धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मोर्चा के उप संयोजक विजय मेहता ने कहा कि मोर्चा का यह आंदोलन बिना लक्ष्य को प्राप्त किये वापस नहीं लौटेगा।सांस्कृतिक और अनुशासनबद्ध आंदोलन को सफल बनाने में रंगकर्मी कमलदीप कुमार,रूपेश कुमार पांडेय,मनोज श्रीवास्तव,ओ पी पांडेय,रतनदेवा,कमलकान्त, लक्ष्मण दूबे,चित्रकार कौशलेश कुमार,पत्रकार धर्मेंद्र कुमार, संतोष कुमार आदि ने सराहनीय भूमिका निभाई।