मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में शिवसेना नेता संजय राउत को कोर्ट ने 4 अगस्त तक ईडी की हिरासत में दिया भेज
मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में – MUMBAI – 01.08.22 – हिरासत में लिए गए शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) को कोर्ट ने 4 अगस्त तक ईडी की हिरासत (ED Custody) में दिया भेज है. ईडी ने संजय राउत की 8 दिन की हिरासत मांगी थी. ईडी ने बीते दिन संजय राउत के मुंबई (Mumbai) स्थित आवास पर छापेमारी की थी और करीब 9 घंटे की पूछताछ के बाद शिवसेना नेता को हिरासत में लिया था. आज कोर्ट में संजय राउत की तरफ से अशोक मुंदरगी और ईडी की तरफ से हितेन वेनेगावकर ने जिरह की.
कोर्ट में ईडी के वकील ने तर्क दिया कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशक प्रवीण राउत ने एक पैसा भी निवेश नहीं किया. उन्हें 112 करोड़ रुपये मिले. जांच से पता चलता है कि संजय और वर्षा राउत के खाते में 1.6 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे. राउत और उनका परिवार 1.6 करोड़ रुपये के लाभार्थी थे.
कहा ईडी के वकील ने?
मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में-ईडी के वकील एड हितेन वेनेगावकर ने अदालत को बताया कि जांच से पता चला है कि उस पैसे (1.6 करोड़ रुपये) में से अलीबाग के किहिम बीच पर जमीनी खरीदी गई थी. एक प्लॉट सपना पाटकर के नाम पर लिया गया था. जांच में यह भी पता चला कि प्रवीण राउत संजय राउत का फ्रंट मैन था. संजय राउत को 4 बार तलब किया गया, लेकिन वह सिर्फ एक बार एजेंसी के सामने पेश हुए. इस दौरान संजय राउत ने सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को धमकाने की कोशिश की. संजय राउत और उनके परिवार को सीधा फायदा मिला है. राउत परिवार ने मनी लॉन्ड्रिंग की है.
प्रवीण राउत की कंपनी से पैसा ट्रांसफर किया गया- ईडी
ईडी ने कहा कि एक साल में 1 करोड़ संजय राउत और वर्षा राउत के खाते में डाले गए. दादर फ्लैट के लिए संजय राउत के खाते में 37 लाख ट्रांसफर किए गए. इसे प्रवीण राउत की कंपनी से ट्रांसफर किया गया था. संजय राउत ने इसी पैसों से अलीबाग में जमीन खरीदी. 2010-11 के बीच पात्रा चॉल के पैसों से संजय राउत ने अलीबाग में 8 जगहों पर जमीन खरीदी. 2010-11 के बीच संजय राउत के कई विदेशी दौरे भी फाइनेंस किये गए थे. 2010-11 के बीच प्रवीण राउत की तरफ से संजय राउत को हर महीने 2 लाख रुपये दिए जा रहे थे. यह जांच में सामने आया.
“संजय राउत की गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित”
संजय राउत के वकील अशोक मुंदरगी ने कोर्ट से कहा कि संजय राउत की गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है. वह दिल से जुड़ी बीमारी के मरीज हैं. उनकी सर्जरी भी हुई थी. इससे जुड़े कागजात कोर्ट के सामने पेश किए गए हैं. मुंबई पुलिस की EOW ने 2020 में मामला दर्ज किया था और पात्रा चॉल मामले की जांच शुरू की थी. जिसके बाद ईडी ने ECIR दर्ज किया और प्रवीण राउत को गिरफ्तार किया था. मुंदरगी ने महाराष्ट्र में हुई सत्ता बदली के बारे का हवाला देते हुए कहा ये माहौल बदलने का नतीजा है. राउत को गिरफ्तार नहीं किया गया था. प्रवीण राउत व्यापारी हैं और संजय राउत कोई कंगाल नही हैं. इसका मतलब ये नहीं हो सकता कि जांच एजेंसी कहे कि उन्हें कस्टडी चाहिए ताकि उन्हें कुछ मिल सके और अगर कस्टडी देना ही है तो बहुत कम समय की दी जानी चाहिए.
कोर्ट में और क्या दलील दी गई?
मुंदरगी ने कहा कि पूछताछ के दौरान उनका वकील उनके साथ रहे. कोर्ट ने कहा कि हां वकील बैठ सकते हैं पूछताछ के दौरान, पर कुछ दूरी बनाकर. ईडी (ED) ने कहा कि हमें कोई ऑबजेक्शन नहीं है उन्हें दवाई और घर का खाना देने के लिए. मुंदरगी ने कहा कि उन्हें कल सुबह 7.30 बजे हिरासत में लिया गया, कल उनकी स्वतंत्रता छीन ली गई. इस स्तर पर हमारे पास करने के लिए कोई अन्य सबमिशन नहीं है, लेकिन दो आवेदन हैं, मेरा क्लाइंट हार्ट पेशेंट है. मुंदरगी ने कहा चूंकि संजय राउत (Sanjay Raut) हार्ट पेशेंट हैं, उनसे पूछताछ देर रात तक ना की जाए. इसका उनके स्वास्थ पर असर पड़ेगा. ईडी ने कहा सुबह 8.30-9.30 बजे तक वो अपने वकील से मिल सकते हैं और रात के 10.30 के बाद हम उनसे पूछताछ नहीं करेंगे.