शिशु देखभाल के लिए समग्र योजना बनाने एवं निरंतर वकालत की जरुरत

250

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

शिशु देखभाल के लिए समग्र योजना बनाने एवं निरंतर वकालत की जरुरत

राजकीय बजट में हर प्रखंड में पालनाघर बनाने का प्रावधान हेतु राशी  आवंटन, निर्माण स्थल पर प्रावधानों को पूरा करवाए सरकार

 

निदान द्वारा आयोजित बिहार फोर्सेज के राज्य स्तरीय परामर्श बैठक में उठी मांग

संगठनों ने प्रारंभिक बाल देख रेख सेवाओ की  स्टेटस रिपोर्ट बनाने की ली जिम्मेवारी

 

 

पटना : 15 नवम्बर,  भारत में पिछले दो दशकों में शिशु के देख भाल से सम्बंधित  नीति में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। लेकिन बाल अधिकार उनके हनन और नीतिगत व्यवस्थाओं अभी और सुधार करने की जरुरत है| बच्चों के मुद्दे पर शासन प्रशासन को अपनी नीतियों को और धारदार बनाने की आवश्यकता है| उक्त बाते राष्ट्रीय फोर्सेज की समन्वयक सुश्री चीराश्री घोष ने निदान व बिहार फोर्सेज द्वारा आयोजित शिशु देखभाल अभियान – परिप्रेक्ष्य योजना निर्माण हेतु राज्य स्तरीय परामर्श बैठक में कही| आगे उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी की स्थिति और 0-6 आयु वर्ष के बच्चों के सर्वांगीण विकास में कैसे बेहतर सुधार हो सकता है इसका एक आदर्श मॉडल तैयार किया जाना चाहिए|

- Sponsored -

- Sponsored -

यूनिसेफ कंसल्टटेंट श्री मति मीनाक्षी शुक्ला ने जानकारी दी की श्रम शक्ति रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर, शिशु देखभाल सेवाओं की आवश्यकता पर में हुई चर्चा में  फोरम फॉर क्रेच एंड चाइल्ड केयर सर्विसेज (FORCES) का जन्म हुआ। अपनी स्थापना के बाद से, FORCES ने शिक्षा के अधिकार, खाद्य सुरक्षा का अधिकार, असंगठित क्षेत्र के श्रमिक विधेयक, और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) पर कानून के माध्यम से शिशु देखभाल और मातृत्व अधिकारों के लिए सक्रिय रूप से और सफलतापूर्वक वकालत की है।

 

श्री भूपेंद्र शांडिल्य ने इस अवसर पर कहा राज्य सरकार द्वारा इसके लिए बजट में अलग से प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि बाल विकास हेतु समग्र व एकीकृत योजना तैयार कर अमल में लाया जा सके| कुछ आदर्श पलना घर सेंटर का भी निर्माण कर अन्य को एक दिशा दिया जा सकता है|

 

 

निदान के कार्यक्रम समन्वयक श्री राकेश त्रिपाठी ने कहा की कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन की श्रृंखला के परिणामस्वरूप राज्य भर में स्वास्थ्य, पोषण, बाल देखभाल और शिक्षा सेवाओं में दीर्घकालिक व्यवधान आया। वर्तमान स्थिति को समझने के लिए एक राज्य स्तरीय परामर्श बैठक में विभिन्न जिले से आये स्वं सेवी संस्थावों ने अपने जिला का स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेवारी की है ताकि बजट पूर्व सरकार को वस्तुस्तिथि से अवगत करवाया जा सके|

 

विदित हो की महिला और बाल संरक्षण के मुद्दे पर निदान अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के मुद्दों पर एक समर्पित और गंभीर नेटवर्क बिहार फोर्सेज का गठन किया गया है। बिहार फोरम फॉर क्रेच एंड चिल्ड्रेन सर्विसेज, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं से संबंधित मुद्दों और 0-6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की देखभाल से संबंधित संगठनों और व्यक्तियों का एक नेटवर्क है।

 

डॉ. मोख्तारुल हक, राज्य समन्वयक,  बचपन बचावो आन्दोलन ने कहा की बाल देखभाल का मुद्दा हमेशा से ही चिंता का प्रमुख विषय रहा है लेकिन बाल देखभाल से संबंधित मुद्दे समय के साथ एक जैसे नहीं रहे हैं| महिला श्रमिकों के लिए उच्च प्रतिशत को मातृत्व लाभ व बाल देखभाल सुविधाओं से वंचित होना अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करती है |

 

निर्माण व घरेलु कार्यों में संलग्न महिलावों की स्तिथि पर चिंता जाहिर करते हुए निर्माण श्रमिक संघ से श्री धर्मेन्द्र  ने कहा की निर्माण स्थल पर नीति व कानून के सही क्रियान्वयन नहीं होने के कारण महिला श्रमिको को उनके बच्चों का देख भाल ठीक ढंग से नहीं हो पता जिसका असर उनके काम व मानदेय पर भी पड़ता है|

 

परामर्श बैठक में पटना से श्री तारकेश्वर सिंह, अनिल कुमार शर्मा, मोतिहारी से श्री दिग्विजय सिंह, खगडिया से महबूब आलम, बेत्तिया से सिस्टर इलिश, मधुबनी से श्री रमेश कुमार, रोहताश से ठाकुर रविन्द्र नाथ, भभुआ से उर्मिला देवी, प्लान इंडिया के श्री संजीव कुमार सिंह, सेव थे चिल्ड्रेन से असीम कुमार मंडल,  ने भी अपनी बात रखी|

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments
Loading...

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More