भोजपुर के मान को मिली चांद की ऊंचाई
चन्द्रयान 3 के दल में शामिल हुआ भोजपुरिया लाल
विक्रम लैंडर इमेजर और प्रज्ञान रोवर इमेजर परीक्षण के लिए परियोजना में योगदान
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आरा,28 अगस्त (ओ पी पाण्डेय). अक्सर रात को खुले आसमान के नीचे से हम अनगिनत टिमटिमाते ग्रहों तक पहुँचने की न सच होने वाले सपने को देखते हैं, लेकिन कहा जाता है कि सपने को देखने के बाद अगर जुनून और कठिन परिश्रम लगातार अपना रंग दिखाता है तो सपने को पूरा होते देर नही लगता है. ऐसे ही चाँद तक पहुँचने की हसरत रखने वाले भोजपुर की मिट्टी का भी एक लाल ने अपने लक्ष्य तक पहुँच न सिर्फ भोजपुर बल्कि देश के मान को चाँद तक पहुँचाया है. जी हां हम बात कर रहे है बिहार के भोजपुर जिले से निकले एक वैज्ञानिक कुमार कुश प्रसाद की जिन्होंने चन्द्रमा तक भेजे गए चन्द्रयान 3 के दल में अपनी जगह बनाई और सफल मिशन के साथ भोजपुर का सिरमौर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी ऊंचा किया है.
लेकिन इस अद्वितीय कामयाबी के बाद भी कुमार कुश अंतरिक्ष यात्रा के पार्श्व में आज भी अपनी निरंतर खोज में मग्न हैं. कुश तमाम लोगों से दूर हैं उन्हें मिशन की कामयाबी पर फ़क्र है. कुमार आरा के अनाइठ निवासी हैं. वे वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में चन्द्रयान 3 के इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं
विक्रम लैंडर इमेजर और प्रज्ञान रोवर इमेजर परीक्षण के लिए चंद्रयान 3 परियोजना में प्रमुख योगदान देने वाले आरा के कुश प्रसाद वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र अहमदाबाद में कार्यरत हैं. वे 2008 में भारत के अंतरिक्ष बंदरगाह पर इसरो(ISRO) में शामिल हुए और कई प्रोजेक्ट्स के लिए काम किया. उनके लगातार काम ने उन्हें चंद्रयान 3 मिशन में भी शामिल किया गया.
बेहद खुजमिजाज मूड और ह्यूमर सेंस से भरे जिंदादिल जिंदगी जीने वाले कुमार कुश कुल 8 भाई हैं. पिताजी सरकारी शिक्षक थे जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं. शिक्षक होने के कारण पिताजी ने परिवार के सभी लोगों को उच्च शिक्षा के लिए सदा प्रेरित किया. कुश को बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक था और खेल में उन्हें मैराथन. उन्होंने अपने पढ़ाई के दौरान कई मैराथनो में भाग भी लिया. किताब पढ़ने की आदत और मैराथन ने उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचा ही दिया.
कुमार कुश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल आरा से प्रारंभ की. मैट्रिक मिशन स्कुल से किया और एचडी जैन कॉलेज आरा से I.Sc की पढ़ाई की. 2008 में बिहार के भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में इंजीनियरिंग की और उसके साथ ही ISRO से जुड़ गए.