बिहार की हवा दीपावली से पहले ही जहरीली हुई

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 शहरों की वायु गुणवत्ता फिर से खराब होने लगी है. पिछले दो दिनों की एक्यूआइ रिर्पाट 210 के पार दर्ज किया जा रहा है. जो शहर की वायु मंडल के लिए बेहद चिंताजनक बात है. जानकार बताते है वायु गुणवत्ता खराब होने का कारण मौसम में ठंड व नमी बढ़ने के कारण छोटी-छोटी कणों का वायु मंडल के निचली सतह पर मंडराना हो सकता है. हालांकि नगर-निगम की तरफ से शहर में वायू प्रदूषण की स्थिति देखते हुए सड़कों पर एंटी स्मॉग गन का छिड़काव किया जा रहा है, ताकि वायु गुणवत्ता की स्थिति कुछ बेहतर हो सकें

बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक्यूआइ रिर्पाट के अनुसार शहर के वायु मंडल में पीएम 2.5 कण ज्यादा नजर आ रहे हैं. जिससे अस्थमा व सांस संबंधित समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है. बिहार के अन्य जिलों में भी वायु गुणवत्ता खराब दिख रही है. मुजफ्फरपुर की एक्यूआइ रिपार्ट 222 , बेगूसराय 330 , आरा 250 ,मोतिहारी 205 ,नालंदा राजगीर 295 समतीपुर 238 ,भागलपुर 171 , कटिहार-174 . बिहार में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण बेगूसराय 330  जिले में है, वही गया में 71  है. किशनगंज में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 170  से ऊपर है.

हवा में नमी के कारण पटना में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ते चला जा रहा है. आज पटना के गांधी मैदान क्षेत्र में एयर क्वालिटी इंडेक्स 296 तक जा पहुंचा है. वहीं पटना के राजा बाजार एरिया में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 264 तक पहुंच गया है. उधर पटना के ईको पार्क क्षेत्र में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 168 तक जा पहुंचा है. राजधानी पटना के लगभग सभी क्षेत्र के लोग अब जहरीली हवा सांस के रूप में लेने लगे हैं. वैसे पटना नगर निगम अपनी तरफ से सड़क पर धूल कम उड़े इसको लेकर लगातार वाटर फॉगिंग मशीन से भी पानी का छिड़काव करते नजर आ रहा है.

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बिहार राज्य प्रदूषण बोर्ड लगातार यह दावा करता है कि राजधानी पटना के हवा को प्रदूषित होने से हम बचाएंगे उसके वाबजूद राजधानी पटना के लोग ठंड की आहट आते ही जहरीली हवा में सास लेने को मजबूर हैं. पटना नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार लोगों से अपील कर रहा है कि सड़क के किनारे वह अंगीठी नहीं जलाएं, खुले में कूड़ा कचरा नहीं जलाया जाए. सड़क पर धूल कण नहीं उड़े इसको लेकर भी कई उपाय किए जा रहे हैं. बावजूद इसके राजधानी पटना में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता चला जा रहा है.

मौसम बदलने के साथ-साथ बिहार में ठंड बढ़ने लगी है. बढ़ता वायु प्रदूषण भी नीतीश सरकार के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है. जिसके चलते अब बिहार सरकार बड़ा कदम उठाया है. राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि फसल अवशेष (पराली) जलानेवाले किसानों से धान की खरीद नहीं की जाए. साथ ही बार-बार पराली जलानेवालों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की जाए.

मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने फसल अवशेष प्रबंधन पर बैठक की. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे धान कटनी का समय आएगा, वैसे-वैसे राज्य में वायु प्रदूषण की स्थिति और बिगड़ने की आशंका है. इसलिए उन प्रखंडों और पंचायतों में सर्तकता बरतें जहां पहले फसल अवशेष जलाने की शिकायत मिली है. शिकायत मिलने पर ऐसे किसानों का डीबीटी पंजीकरण रद्द करें. उन्हें सभी प्रकार के अनुदान सेवंचित कर दें. इसकी सूची प्रखंड कार्यालय में प्रदर्शित करें. उन्हें धान अधिप्राप्ति के लाभ से भी वंचित करने की कार्रवाई करें.

इससे पहले बिहार में किसानों से पराली को खेतों में न जलाने की अपील की गई थी. कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने धान की कटनी को देखते हुए फसल अवशेष नहीं जलाने को कहा था और धान की खूंटी, पुआल आदि खेतों में जलाने की बजाए उचित प्रबंधन का निर्देश दिया था. दरअसल धान की कटाई के बाद किसान अपने खेतों के अंदर ही फसलों के अवशेष यानी पराली को जला देते हैं. जिससे वायुमंडल को भी नुकसान पहुंचता है और वायुप्रदूषण भी घातक हो जाता है. पराली के धुएं से निकलनेवाले कण वायुमंडल की निचली सतह पर बने रहते हैं. ऐसे में वायुप्रदूषण पर लगाम के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं.

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