NEET परीक्षा में धांधली के आरोपों को लेकर दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को किसी तरह की कोई राहत देने से इनकार कर दिया है और काउंसलिंग पर रोक लगाने से मना कर दिया है। कोर्ट ने परीक्षा को आयोजित करने वाली NTA को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई अब आगामी 8 जुलाई को होगी।
NEET परीक्षा को रद्द करने और काउंसलिंग पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस ए अमानुल्लाह की बेंच ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील साई दीपक ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस पूरे मामले में पारदर्शिता नहीं बरती गई और हम इसी का जवाब चाहते हैं। दोनों पक्ष की दलिलों को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने काउंसलिंग पर रोक लगाने से मना करते हुए NTA को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दरअसल, इस साल हुई NEET की परीक्षा में देशभर से 23 लाख से भी अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। 4 जून को परीक्षा का रिजल्ट जारी होने के बाद इसको लेकर विवाद शुरू हो गया। मेरिट लिस्ट में कुल 67 अभ्यर्थियों ने पहला स्थान हासिल किया है। इन सभी 67 छात्र-छात्राओं को 720 में 720 अंक मिले हैं। ये सभी छात्र हरियाणा के झज्जर के एक ही सेंटर के हैं। नतीजे सामने आने के बाद से ही देशभर में इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया।
तेलंगाना के रहने वाले अब्दुल्ला मोहम्मद फैज ने परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में परीक्षा को रद्द कर उसे फिर से आयोजित करने की मांग की गई है। पूरे मामले की एसआईटी जांच और काउंसिलिंग रोकने की भी मांग की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया है और NTA से जवाब मांगा है।