बिहार के इतिहास में संभवतः ये पहला वाकया है जब डीजीपी ने अपना पद छोड़ कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने का फैसला लिया है. भट्टी का कार्यकाल अभी एक साल और बचा था. लेकिन बीच में ही उन्होंने सीआईएसएफ में जाने का फैसला ले लिया. सीआईएसएफ का डीजी ऐसा अहम पद नहीं होता जिसके लिए किसी राज्य का डीजीपी अपनी कुर्सी छोड़ दे.
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों की मानें तो डीजीपी के पद पर रहते हुए राजविंदर सिंह भट्टी दबाव में थे. वे पुलिस को ठीक करने के लिए फ्री हैंड चाहते थे. लेकिन पुलिस मुख्यालय से लेकर जिलों तक में ट्रांसफर पोस्टिंग में डीजीपी की नहीं चल रही थी. एडीजी, आईजी, डीआईजी और एसपी ही नहीं बल्कि डीएसपी तक की पोस्टिंग सीएम आवास से की जा रही थी. ऐसे में भट्टी अपने मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे.
तेजस्वी यादव इन दिनों लगातार आरोप लगा रहे थे कि पुलिस में डीजीपी की चल नहीं रही है. चढावा लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग की जा रही है. डीजीपी ने अपने पसंद के अधिकारियों की फील्ड में तैनाती की लिस्ट तैयार की थी लेकिन सरकार ने उसका नोटिस नहीं लिया. तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि सीएम के चमचे-बेलचे ट्रांसफर पोस्टिंग कर रहे हैं.