लैंड फॉर जॉब मामले में लालू -तेजस्वी समेत सभी 8 लोगों को समन, सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर कोर्ट ने लिया संज्ञान
ईडी ने जो सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल किया है उसमें राजद के विधायक तेजप्रताप यादव को शामिल नहीं किया गया है। लेकिन, कोर्ट ने यह पाया है कि मामले में राजद के विधायक और पूर्व रेलमंत्री लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप को भी फायदा मिला है। इसलिए अदालत ने तेजप्रताप को आरोपी के तौर समन जारी कर दिया है। कोर्ट ने लालू, तेजप्रताप और तेजस्वी को 7 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने यह माना की मुक़दमा चलाने के लिए प्रथम दृष्टया में पर्याप्त सबूत हैं। उसके बाद कोर्ट ने कहा कि बड़ी तादात में ज़मीन का ट्रासंफर हुआ है और लालू यादव और उनके परिवार द्वारा पद का दुरुपयोग किया गया है। कोर्ट ने कहा कि लालू यादव परिवार के नाम पर ज़मीन का ट्रांसफर हुआ है और लालू यादव भी मनी लांड्रिंग में शामिल थे।
कोर्ट ने कहा कि तेजस्वी यादव के खिलाफ भी मामले में पर्याप्त सबूत हैं। कोर्ट ने कहा कि किरण देवी ने मीसा भारती के नाम पर ज़मीन ट्रांसफर किया। जिसके बदले में किरण देवी के बेटे को नौकरी दी गई, इसमें किरण देवी के पति भी शामिल थे। कोर्ट ने कहा कि AK इंफोसिस्टम द्वारा बिहार के राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव को 2014 में बड़ी तादात में ज़मीन ट्रांसफर किया गया है। कोर्ट ने कहा कि तेज प्रताप यादव भी लालू यादव परिवार के सदस्य है और मनी लांड्रिंग में इनकी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। उसके बाद कोर्ट ने कहा कि मामले में तेज प्रताव यादव को समन जारी किया जाता है।
मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि उनके कार्यकाल में रेलवे ग्रुप डी के पदों पर कई लोगों को नियमों की अवहेलना करते हुए नौकरी दी गई थी। इसकी एवज में लालू परिवार और करीबियों के नाम पर जमीनें लिखवाई गई थीं। इस केस के आपराधिक पहलू की जांच सीबीआई कर रही है। वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े पहलू की जांच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के पास है। ईडी ने बीते 6 अगस्त को इस केस में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी। इनमें 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है।