बाढ/ अजय कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
अथमलगोला मे वृक्षारोपण योजना में भ्रष्टाचार
अथमलगोला प्रखंड के सात पंचायत में वर्ष 2024 -25 के तहत पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए मनरेगा योजना के द्वारा किसानों के खेत में प्रति पंचायत 10 यूनिट वृक्षारोपण योजना चलाई जाने की कवायत गत अगस्त महीने से ही शुरू हो गई है। लेकिन यह योजना की शुरुआत से ही भ्रष्टाचार की दुर्गंध आने लगी है। प्रखंड के करजान पंचायत में करीब 50 यूनिट के आसपास वृक्षारोपण योजना खोल दी गई है। इस योजना में पंचायत की मुखिया के द्वारा किया गया अनुशंसा के आधार पर किसानों के खेत में घेराबंदी करते हुए 200 पेड़ लगाया जाता है। जिस पर प्रति यूनिट सरकार का 249000 के आसपास खर्च आता है। वही पेड़ की सुरक्षा के लिए प्रति महीना ₹2000 के आसपास इस पर रखरखाव के लिए खर्च किए जाते हैं। नियम के मुताबिक हर योजना स्थल पर एक चपाकल लगाए जाते हैं। और पेड़ों की देखभाल और सुरक्षा योजना चलाने वाले किसान के हाथ में होती है। जिसका कोऑर्डिनेशन मनरेगा विभाग के PTA और कार्यक्रम पदाधिकारी करते हैं। लेकिन पंचायत में इस योजना का हालात कुछ और ही है कहीं पुराने बगीचे की घेराबंदी कर दी गई है। तो कहीं केले के बगीचे को घेर कर योजना चालू कर दी गई है ।दर्जनों स्थल पर चापा कल की व्यवस्था नहीं की गई है। और कई योजना स्थल पर बोर्ड तो हैं लेकिन वृक्ष की स्थिति बेहद दयनीय है। कहीं 10/20 पौधे लगा दिए गए हैं तो कहीं मनमाने तरीके से योजना की बंदर बांट कर ली गई है। मामले पर जब PTA राजीव कुमार से बात करने का प्रयास किया गया तो उनके मोबाइल पर इनकमिंग कॉल की सुविधा उपलब्ध नहीं थी जब प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी तुषार कांत से बात की गई तो उन्होंने 3/4 महीना पहले योजना शुरू होने की बात कही और कई जगह की खामियों होने की बात स्वीकार करते हुए जल्द ही योजना में सुधार लाने का अल्टीमेटम देते हुए राशि रोक लिए जाने की बात कही वहीं पंचायत के ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इस योजना में पंचायत प्रतिनिधि से लेकर मनरेगा के कर्मचारी तक मिली भगत कर योजना की बंदर वाट करने में लगे हुए हैं/
बाइट तुषार कांत कार्यक्रम पदाधिकारी