बात आदर्शवाद की है।

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बात आदर्शवाद की है।

भारत की राजनीति में किसी के लिये राम एक काल्पनिक-पात्र रहे, किसी के लिये श्रीराम जन-जागरण के प्रतीक तो किन्हीं के लिये श्रीराम भारतीय-अस्मिता के कालजयी-स्तंभ।
पर आम-जनमानस के लिये मिलन के अभिवादन में राम-राम और मुक्ति के क्षणों में राम नाम सत्य है।

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श्रीराम अनेकानेक उपासनाओं के अविरल-परम्पराओं के संवाहक होने के साथ नित्य-जीवन के पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-नेतृत्व संग वैश्विक-चेतना के वे प्रारम्भिक-स्वर हैं, जिन्हें जिया जा सकता है, महसूस किया जा सकता है, जीवन के नैसर्गिक-बोधों के साथ स्वयं को आत्मसात किया जा सकता है … पर उनपर शब्द-मीमांसा के आधार पर बौद्धिक-संग्राम नहीं किया जा सकता।

आदिकवि-बाल्मीकि के भावांजलि में महाविष्णु श्रीरामचंद्र के जन्मोत्सव पर सभी लोगों को बधाई और मंगल कामनायें।

।। जयति जय मंगलम् ।।
अमरदीप झा गौतम।

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