आपन संस्कृति, आपन पहचान, भोजपुरी हमार शान मातृभाषा दिवस पर भोजपुरी को समृध्द बनाने का हुआ संकल्प

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आपन संस्कृति, आपन पहचान, भोजपुरी हमार शान

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मातृभाषा दिवस पर भोजपुरी को समृध्द बनाने का हुआ संकल्प

वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग के दुर्गाशंकर सिंह नाथ सभागार में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन हुआ जिसमें उपस्थित छात्रों, शिक्षकों तथा आगंतुकों ने मातृभाषा भोजपुरी को समृध्द बनाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के शुरू में गायक रवि रंजन ने भोजपुरी गीतों को गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अंग्रेज़ी विभाग के सहायक प्राध्यापक आनंद भूषण पांडेय ने कहा कि भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए राजनीतिक रूप से सशक्त होना पड़ेगा। संस्कृत विभाग के शिक्षक संजय चौबे ने कहा कि हमें अपनी जड़ों को भूलना नहीं चाहिए और गर्व से कहना होगा कि हम सबकी मातृभाषा भोजपुरी है। उन्होंने भोजपुरी में स्वरचित व्यंग्य कविताओं को सुनाकर सभी को आनंदित कर दिया। छात्र नेता अनिरुद्ध सिंह ने भोजपुरी के प्रति जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा पर निराशा व्यक्त किया। सामाजिक कार्यकर्ता सुनील पांडेय ने कहा कि अपनी मातृभाषा से प्रेम का यह मतलब नहीं कि अन्य भाषाओं से वैर करें। छात्र नेता चंदन ओझा और रविश ने भोजपुरी अश्लील गायकों के खिलाफ अभियान चलाने की बात की। शोधछात्र यशवंत कुमार सिंह ने अपनी भोजपुरी कविताओं का सस्वर पाठ किया। शोधछात्र राजेश कुमार और रवि प्रकाश सूरज ने आह्वान किया कि हम सभी को भोजपुरी में पढ़ने, लिखने और बोलने की संस्कृति विकसित करनी होगी तथा यूनेस्को थीम के अनुसार भोजपुरी शिक्षण में आधुनिक तकनीक का उपयोग करना होगा। मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त प्रोफेसर और अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो बलिराज ठाकुर ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में चल रहे भोजपुरी की पढ़ाई को और मजबूत करने के लिए पदों का सृजन ना होना दुःखद है और आंदोलन की जरूरत है साथ ही सरकारी संरक्षण की भी आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रो दिवाकर पांडेय ने भोजपुरी विभाग की उपलब्धियों को रेखांकित किया और भोजपुरी के समृध्द साहित्य की चर्चा की। इसके अलावा कार्यक्रम में विभाग के छात्रों सोहित कुमार सिन्हा, सतीश कुमार, रवि रंजन, अभिषेक प्रीतम, रवि कुमार ने मातृभाषा भोजपुरी के प्रचार-प्रसार पर विचार व्यक्त किये। बाद में भोजपुरी भवन का नामांकित पट्ट विभाग के छात्रों द्वारा सामूहिक रूप से लगाया गया जिसपर भवन का नाम भोजपुरी की प्राचीन लिपि कैथी में लिखा गया है।

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