इंडिया सिटी लाइव 1फरवरी : इस बार के बजट में बिहार की उम्मीदें पूरी होती नहीं दिखीं, यही वजह रही कि प्रदेश के अर्थशास्त्रियों में भी काफी निराशा है. रोजगार के मसले पर केंद्र सरकार की ओर से कुछ खास योजनाओं के बारे में प्लान लेकर नहीं आना बिहार के अर्थशास्त्रियों को बेहद खल रहा है. खास तौर पर विकास के कई मानकों पर बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए विशेष पैकेज की अपेक्षा की जा रही थी, लेकिन बिहार के एक्सपर्ट्स की नजर में बिहार के लिहाज से कुछ खास नहीं है.
बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष के पी अग्रवाल ने कहा कि विषम परिस्थिति में जो राष्ट्रीय स्तर का बजट पेश किया गया है इसमें कुछ खास राहत तो नहीं है, लेकिन विकट परिस्थितियों से उबरते हुए बजट को सामान्य तो कहा ही जा सकता है. बिहार को अलग से कुछ भी नहीं मिला है अगर समग्र योजना में कुछ मिले तो हो सकता है कि कुछ फायदा हो. लेकिन नंबर के आधार पर आंकलन करें तो राष्ट्रीय स्तर पर 10 में से सात से आठ नंबर दिया जा सकता है.
वहीं, एक और एक्सपर्ट किशोर मंत्री ने कहा कि सरकार की स्थिति को भी समझना होगा. पिछले एक वर्ष में देश कोरोना के संकट से गुजरा है. यह सिंपल इकोनॉमी का फंडा है कि पैसा आएगा तो खर्च होगा. इस बात को एड्रेस किया जाना था, लेकिन यह जरूर है कि बिहार को अलग से कुछ मिलता, लेकिन केंद्रीय सरकार की मजबूरियों को भी देखा जाना जरूर है क्योंकि केंद्र सरकार ने भी इस कोरोनाकाल जैसी विकट परिस्थितियों देश को निकालने का प्रयत्न किया है. हालांकि बिहार के संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि कुछ खास नहीं है.
बिहार के जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ नवल किशोर चौधरी ने कहा कि जो उम्मीदें थीं वह पूरी नहीं हो पाई हैं. बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लिए जो पैकेज की दरकार थी वह भी नहीं मिला. इसके साथ ही अप्रवासी मजदूरों की समस्याओं से परेशान बिहार के लिए कुछ अलग से योजनाएं होनी थीं, उसको भी एड्रेस नहीं किया गया. रोजगार के मसले को भी कहीं नहीं एड्रेस किया गया है. आखिर हमारे युवाओं के रोजगार के लिए केंद्र सरकार नहीं ध्यान देगी तो यह राज्य के अकेले बूते की बात नहीं है. ऐसे में मैं तो इस बजट को बिहार के संदर्भ में नंबर भी नहीं देना चाहूंगा.
आइये हम इस पर भी नजर डालते हैं कि बिहार की कुछ उम्मीदें थीं जो पूरी नहीं हुईं. पहला तो यह बिहार की नीतीश सरकार विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की की मांग बीते कई वर्षों से उठती रही है. लेकिन, इस बार के आम बजट में भी इस मांग पर कोई घोषणा नहीं की गई. अगर यह संभव नहीं था तो विशेष पैकेज का ऐलान किया जा सकता था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य को एक लाख 65 हजार करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी. हालांकि उस घोषणा के की बहुत सारी रकम मिल गई है, लेकिन शेष के लिए कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई.
दूसरा यह भी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा थी कि पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए. इसकी मांग उन्होंने स्वंय पीएम मोदी के समक्ष की थी, लेकिन यह उम्मीद इस बार भी पूरी नहीं हुई. अमृतसर हावडा इन्डस्ट्रीयल कॉरीडोर को बनने की घोषणा की उम्मीद थी जिससे बिहार के औरंगाबाद, गया, कैमूर जैसे छह जिलों को फायदा होता पर इसके लिए भी कोई ऐलान नहीं किया गया.
दिल्ली मुंबई की तर्ज पर विदेशी कंपनी के सहयोग से बिहार में भी उद्योग जगत को जमीन खरीद के लिए डेडिकेटेड कॉरीडोर की सुविधा मिलने वाली योजना की बात सामने आ रही थी पर वह भी पूरी नहीं हुई.
देश के 117 पिछड़े जिलों में शामिल बिहार के 13 जिलों में उद्योग लगाने पर आयकर और अन्य करों में राहत देने की केंद्र सरकार से उम्मीद थी, लेकिन उस पर भी साफ तौर पर कोई ऐलान नहीं किया गया.
बिहार में हस्तकला उद्योग को व्यवस्थित करने की योजना को लेकर भी उम्मीद की जा रही थी, लेकिन केंद्रीय बजट में बिहार को लेकर ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई. बिहटा-औरंगाबाद नई रेल लाइन परियोजना और प्रस्तावित बिहटा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को पटना मेट्रो के साथ जोड़ने की मांग की जा रही थी, लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई.