कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन और प्रयास किशोर सहायता केंद्र सोसाइटी (प्रयास), बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए निकाला‘मशाल जुलूस
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन और प्रयास किशोर सहायता केंद्र सोसाइटी (प्रयास), बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए निकाला‘मशाल जुलूस
खत्म होगी बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के आहवान पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के साथ मिलकर प्रयास किशोर सहायता केंद्र सोसाइटी (प्रयास), 16 अक्टूबर को लोगों को जागरूक करने के लिए राज्यव्यापी ‘मशाल जुलूस’ निकाला यह जुलूस पूर्णिया जिले के के० नगर प्रखंड के चार पंचायत के 25 गांवों से निकला। जुलूस का नेतृत्व गांवों की महिलाएं की खासकर ऐसी महिलाएं जो स्वयं बाल विवाह की प्रताड़ना से गुजर चुकी हैं। ‘मशाल जुलूस’ निकाला गया
भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में 12,09,260 बाल विवाह हुए हैं। यह देश के कुल बाल विवाह का 11 प्रतिशत हैं। बाल विवाह के मामले में राज्य का देश में तीसरा स्थान है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के ताजा आंकड़े भी साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों की तस्दीक करते हैं। सर्वे के अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिनका बाल विवाह हुआ है। अभियान में पांच हजार गांवों तक पहुंचेगा। इसका लक्ष्य साल 2025 तक बाल विवाह की संख्या में 10 प्रतिशत की कमी लाना है जो कि अभी 23.3 प्रतिशत है।
आंकड़ों से पता चलता है कि बाल विवाह एक गंभीर समस्या है और यह देश के सर्वांगीण विकास में बाधक है। इसी को देखते हुए नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी ने ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान का ऐलान किया है। तीन साल तक चलने वाले इस अभियान के तहत गांव-गांव जाकर लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया ।
मशाल जुलूस के आयोजन में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग, प्रबृद्ध नागरिक, गांवों के प्रधान, सरपंच समेत प्रयास किशोर सहायता केंद्र सोसाइटी (प्रयास) के जिला परियोजना समन्वयक श्री उमेश कुमार समेत तमाम गणमान्य हस्तियां मौजूद रही।
बैठक में प्रयास किशोर सहायता केंद्र सोसाइटी (प्रयास) के जिला परियोजना समन्वयक श्री उमेश कुमार ने बाल विवाह पर चिंता जताते हुए कहा, ‘बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इसको रोकने के लिए अच्छे कानून भी हैं और सरकार अपने स्तर पर प्रयास भी कर रही है लेकिन लोग बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक नहीं हैं। वे इसे एक परंपरा के तौर पर लेते हैं, जिसके कारण आज भी समाज में बाल विवाह प्रचलन में हैं।’ ‘मशाल जुलूस का उद्देश्य यह है कि लोगों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक किया गया और उन्हें इसके दुष्परिणामों के बारे में बताया गया सरकार और सिविल सोसायटी के एकजुट प्रयास से ही हम बाल विवाह जैसी बुराई को रोक सकेंगे।’