नदी के संगम पर लाशों का मेला..
ठोरा गंगा संगम पर दर्जनों मवेशियों की तैर रही है लाशें…
सहायक नदियों से आ रही है मवेशियों की लाशें..
स्वच्छ गंगा अभीयान पर सवाल..
क्या ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पंहुची जागरूकता…
बक्सर से संपीद वर्मा के साथ कपीन्द्र किशोर की रिपोर्ट..
13/2/2022
जिला मुख्यालय बक्सर में गंगा नदी में एक बार फिर एक साथ कई लाशे देखी गई..चौंकिऐ मत ये सच है लेकिन इस बार ये लाशें इंसानों की नहीं जानवरों की है… जो बक्सर के सोमेश्वर स्थान गंगा घाट के किनारे देखी गई एक साथ इतनी संख्या में मवेशियों की लाशें देखकर लोग हतप्रभ हैं.. बक्सर जिलामुख्यालय के ठोरा गंगा के संगम पर अपने भविष्य को तराशने और खेल कूद करने पंहुचे युवा मवेशियों के शव के दुर्गंध से त्रस्त हैं..
जिला मुख्यालय के सोमेश्वर स्थान सेंट्रल जेल घाट पर इन दिनों यह नजारा खुलेआम देखने को मिल रहा है जहां एक ओर सरकार द्वारा गंगा नदी को स्वच्छ रखने एवं उसे अविरल बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं वही इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्रों से आकर गंगा में मिलने वाली सहायक नदियां अपने साथ कई तरह की गंदगी लेकरगंगा को भी प्रदुषित कर रही है..ऐसे में जिलामुख्यालय में गंगा स्वच्छता अभियान की पोल भी खुल रही हैं लेकिन सवाल यह है की जागरूकता के लिए चलाए जा रहे इतने बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों के बावजूद आखिर ऐसी स्थिति पैदा ही क्यों हो रही है?
क्या ग्रामीण क्षेत्रों तक अभी भी नदियों को स्वच्छ रखने को लेकर जागरूकता नहीं पहुंची है ..कई सवाल हैं जो अभी तक अनसुलझे हैं और गंगा स्वच्छता के दावों की पोल खोलते हैं को बता दें कि अभी भी गंगा में मूर्ति विसर्जन और प्रदूषण फैलाने वाले चीजों का गंगा में विसर्जित न करने को लेकर अभियान चलाया जा रहा है और लोगों को लगातार जागरूक भी किया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद भी जिला मुख्यालय के गंगा तटों पर इतनी बड़ी संख्या में मवेशियों की लाश से गंगा में पाए जाने से फिर से अभियानों के तहत चल रहे कार्य और उसके प्रभाव पर सवाल खड़े हो गए..क्यों कि लाशें आखिर लाशें हैं..