सिया के हुऐ राम…. रात भर चला विवाह महोत्सव…

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सिया के हुऐ राम….

रात भर चला विवाह महोत्सव…

हजारों की संख्या में आश्म में जमें रहे श्रद्धालु

अवध से आई बारात ..मिथिला ने की अगुवाई..

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संत समाज ने रात भर किया गीतों का रसपान..

मांगलिक गीतों सें गुंजयमान हुआ आश्रम

बक्सर से कपीन्द्र किशोर की रिपोर्ट

 

बक्सर में चल रहे सिय पिय मिलन महोत्सव में आज भगवान राम का भव्य विवाह का कार्यक्रम किया गया …पारंपरिक रूप से चलाए जा रहे हैं इस भव्य आयोजन के लिए दूरदराज से देश विदेश से संत श्री सीताराम विवाह महोत्सव के साक्षी बने पहुंचे थे.. जहां कई तरह के पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ श्री भगवान राम और सीता माता का विवाह कार्यक्रम संपन्न हुआ… रात भर चलने वाले इस आयोजन में हजारों की संख्या में लोग रात भर भक्ति रस में गोते लगाते रहे एवं मांगलिक गीतों का रसपान करते रहे.. मिथिला से आई महिलाओं ने जमकर नृत्य किया और भगवान राम के साथ आए उनके चारों भाइयों से खूब मजाक भी किया ..सखी संप्रदाय के द्वारा किए जाने वाले इस आयोजन को भारत का एकमात्र आयोजन माना जाना चाहिए जहां प्रभु श्री राम को पाहुन या जीजा के रूप में स्वीकार करने वाले संत.. जनक नंदिनी को अपना बहन मानते हैं और यह संप्रदाय हमेशा महाराज या गुरुदेव की जगह सखी का संबोधन करता है.. सखी शब्द से हुई गुंजवान हुआ आश्रम ने एक बार फिर श्री साकेत वासी श्री नारायण दास भक्त माली मामा जी के याद करके भाव विहल हो उठा जहां उनके लिखे गीतों पर रात भर कार्यक्रम होते रहे और लोग भक्ति रस में गोता लगाते रहे
बक्सर के नया बाजार स्थित सीताराम विवाह महोत्सव में शुरू हुए विवाह कार्यक्रम के लिए शाम से ही पूरा आश्रम श्रद्धालुओं से भर गया था जहां रात भर श्रद्धालु बैठे रहे आश्रम के महंत श्री राजा राम चरण दास जी महाराज ने सिया जी के भाई की भूमिका निभाई जहां मिथिला से आए लोग और अवध से आए लोगों का मेल मिलाप हुआ.. जिसके बाद बरात माडों में पहुंची माड़ो के बाद जनवासा तक जाने के क्रम में कई गीत गाए गए एवं महिलाएं नृत्य करके उनका स्वागत करती रहे पूरे पूरे विधि विधान के साथ होने वाले इस महोत्सव को देखने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं जहां रात भर कार्यक्रम चलता है और सीताराम के साथ राजा दशरथ और जनक के भी राजपाट का चित्रांकन किया जाता है.. आपको बता दें कि बक्सर में महरिशी खाकी बाबा सरकार द्वारा शुरू किए गए इस परंपरा को आज भी जीवंत रूप से पूरा किया जाता है जहां माता जानकी और भगवान श्रीराम का विधिवत विवाह होता है इसके लिए जनकपुर से और अवध से भी लोग जुड़ते हैं महर्षि खाकी व व सरकार के द्वारा 1962 में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी जिसके बाद उनके परम शिष्य साकेत वासी श्री नारायण दास भक्त माली और मामा जी महाराज ने इसे ख्याति प्रदान की और काफी आगे बढ़ाया अब श्री राजा राम सरण दास जी महाराज इस परंपरा का निर्वहन करते हैं और मिथिला अवध से आए लोगों का स्वागत आश्रम में होता है पूरे आश्रम में राम मय माहौल हो जाता है और हजारों लोग बैठकर राम और सीता का विधिवत विवाह देखते हैं 52 में शिव पिया मिलन महोत्सव में कल रात्रि भी काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए और रात भर बैठ कर श्री सीताराम विवाह के अनुष्ठानों का रसपान किया

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