सीताराम विवाह महोत्सव चौथा दिन..  हुआ सिताराम विवाह परिसर… साधु संतो काजारी है आगमन..

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05/12/21
सीताराम विवाह महोत्सव चौथा दिन..

हुआ सिताराम विवाह परिसर…

साधु संतो काजारी है आगमन..

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बक्सर साथ कपीन्द्र किशोर की रिपोर्ट..

5/12/2021

सिय पिय महोत्सव

महोत्सव में आज श्रीधाम वृंदावन से पधारे श्री फतेहकृष्ण जी के निर्देशन में रासलीला का आयोजन किया गया जिसमें दामापंथ लीला हुई
उसके पश्चात श्रीराम जी की झाँकी और पदगायन किया गया।
संध्याकाल में अवध से पधारे श्रीराधवाचार्य महाराज के श्रीमुख से श्रीमद बाल्मीकि रामायण कथा का आयोजन किया गया जिसमें महाराज जी ने कहा कि परमात्मा रस रूप है वेदों में कहा है कि वो परमात्मा जो रसरूप है वो सैंधव रस (सेंधा नमक) के समान है।
जिस प्रकार सेंघा नमक में आर-पार दिखाई देता है और अंदर बाहर एक स्वरूप का होता है उसी प्रकार से सचिदानंद भगवान भी सभी भक्तों के लिए समान है इसलिए सेंघा नमक को संतो ने रामरस भी कहा है। बुद्धिमान व्यक्ति प्रातः काल का समय जुआ प्रसंग में लगाओ क्योकि जुआ का खेल महाभारत प्रसंग का बोधक है।
मध्यान काल मे स्त्री प्रसंग स्त्री प्रसंग रामायण का घोतक है
और रात्रिकाल में चोर प्रसंग यानी श्रीकृष्ण भगवान के भागवत का अध्ययन करना चाहिये।ज्ञान को ग्रहण करने वाले की पात्रता होनी चाहिए तभी गुरु का दिया ज्ञान सार्थक हो सकेगा।जब आचार्य के अंदर जीव के कल्याण की करुणा निहित होगी तभी तो जगत का कल्याण हो सकेगा।जन्म के पश्चात जो प्रथम संस्कार होता है उसे जातकर्म संस्कार कहते है वेदों में 16 संस्कारों का वर्णन है लेकिन वर्तमान में विडंबना ये है कि लोग अपने संस्कारो को भूलते जा रहे है।जन्म के पश्चात जो प्रथम संस्कार होता है उसे जातकर्म संस्कार कहते है वेदों में 16 संस्कारों का वर्णन है लेकिन वर्तमान में विडंबना ये है कि लोग अपने संस्कारो को भूलते जा रहे है।संस्कार हमारे कमियों को दूर करते है और हमारी विशेषताओ को उजागर करते है।इसलिये जीवन मे संस्कारो का महत्व है और सभी सनातनियों को इन संस्कारों की रक्षा करनी चाहिये।अनेक जन्मों के बाद जब भगवान की विशेष कृपा होती है तभी मानव जन्म होता है।
मानव का जन्म मिलने के बाद उसके भीतर पशुता के सारे गुण से समाप्त हो जाये इसलिये जन्म के पूर्व से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारो का वर्णन हमारे धर्मग्रंथों में है।
रात्रिकाल रामलीला में श्री जनकपुर प्रवेश और नगर दर्शन लीला का आयोजन किया गया।

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