बिहार की बाढ़ के दर्द को सोनू निगम ने यूं दी आवाज ,धनेसर का छप्पर उधर बह रहा है

बिहार में बाढ़ का दंश हर साल कोसी के इलाके के लाखों लोग झेलते हैं। वैसे तो बाढ़ से देश के कई राज्य त्रस्त रहते हैं लेकिन कई नदियां होने के कारण और भौगोलिक स्थिति की वजह से कोसी इलाके में हर

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LIVE INDIA CITY DESK-बिहार में बाढ़ का दंश हर साल कोसी के इलाके के लाखों लोग झेलते हैं। वैसे तो बाढ़ से देश के कई राज्य त्रस्त रहते हैं लेकिन कई नदियां होने के कारण और भौगोलिक स्थिति की वजह से कोसी इलाके में हर साल बाढ़ की विभीषिका आती ही है।आपको बता दे की बिहार के कोसी क्षेत्र के सिमराही से संबंध रखने वाले कवि प्रबुद्ध सौरभ द्वारा बाढ़ की पृष्ठभूमि पर लिखी एक कविता को बॉलीवुड के मशहूर प्लेबैक सिंगर सोनू निगम ने अपने एक टेलीविजन शो में गाकर सुनाया। और यह गीत सुनकर सबकी आंखें नम हो गईं।

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हर कोई बाढ़ गीत के सैलाब में डूबता उतराता रहा। यह गीत अनएकडेमी अनवाइंड के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है। हालाकि रिलीज के दो दिन बाद ही अब तक इसे लाखों लोग देख चुके हैं।गीत के बोल और गायन भावुक करने वाला है। यह कुछ इस तरह है- धनेसर का छप्पर उधर बह रहा है, किसन का टिरेक्टर उधर बह रहा है, इधर बह रही है सनिचरा की बुढ़िया, उधर बह रही है गनेसा की गुड़िया, गनेसा को बेटी बिहानी थी अबके, बताता था खुद से ही घर जा के सबके।इस गाने को लिखने वाले गीतकार प्रबुद्ध सौरभ ने बताया कि कोसी के लोग ही बाढ़ की बर्बादी समझते हैं। वे कहते हैं कि बाढ़ में मकान नहीं बहते, घर बहते हैं, लोग नहीं बहते, रिश्ते बहते हैं। आंखें नहीं बहतीं, सपने बह जाते हैं। स्वयं सोनू निगम इस गीत को लेकर बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने जब पहली बार यह कविता पढ़ी तो वो चौंक उठे कि ऐसा कुछ तो उन्होंने कभी पढ़ा ही नहीं था। इसलिए उन्होंने खुद ही उसे कम्पोज किया और एक ऐसे स्केल में किया जिसका इस्तेमाल भारतीय संगीत में बहुत कम हुआ है। इस गाने के म्यूजिक अरेंजर अनुराग सैकिया ने बताया कि वो आसाम से हैं और उन्होंने भी बाढ़ का कहर झेला है। जो इस गाने के संगीत में भी प्रमुखता से झलकता है।

 

 

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