ठंड के कारण शरीर में पानी की कमी दे सकता है कोल्ड डायरिया को न्यौता
• छह माह से ऊपर के बच्चों को गुनगुना पानी का कराएं सेवन
• बच्चों को दें ताजा व गर्म भोजन, शिशुओं को नियमित रूप से कराएं स्तनपान
आरा, 20 दिसंबर | जिले में पछुआ हवाओं के चलने के कारण तापमान में गिरावट जारी है।मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार अगले दो तीन दिनों तक न्यूनतम तापमान सात से आठ डिग्री के आसपास रहने वाला है। ऐसे सर्द हवाओं व कुहासों के कारण शहरी इलाके के साथ साथ ग्रामीण इलाकों के लोग गलन जैसी ठंड से लोग परेशान हो रहे हैं। वहीं, सर्द मौसम के कारण लोगों की दिनचार्य में भी बदलाव लाजमी है। लोग ठंड के कारण पानी पीने की मात्रा कम कर देते हैं, जो डिहाइड्रेशन का बड़ा कारण बन जाता है। जिसके कारण लोगों को कोल्ड डायरिया से जूझना पड़ता है। खासतौर से छोटे बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसको लेकर बच्चों के प्रति ठंड में सावधानी बरतनी चाहिए। कोल्ड डायरिया शिशुओं व बच्चों को उनके शरीर के डिहाइड्रेट होने और सर्दी-जुकाम होने से आसानी से पकड़ लेता है। लेकिन ससमय इसका प्रबंधन व इलाज नहीं होने से यह उनके लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। कोल्ड डायरिया के सबसे ज्यादा मामले शुरुआती ठंड में होते हैं। इस दौरान बरती गई लापरवाही मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाती है और संक्रमण के चलते उल्टी-दस्त की समस्या शुरू हो जाती है।
शारीरिक समस्याओं के बढ़ने की संभावना प्रबल :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, कोल्ड डायरिया में लूज मोशंस, भूख न लगना, कपकपी लगना, बॉडी में पानी की कमी के साथ पैरों में ऐठन, दिन भर सुस्ती बने रहना, पेट में दर्द आदि जैसी शारीरिक समस्याओं के बढ़ने की संभावना प्रबल हो जाती हैं। वहीं, अधिक ठंड में निमोनिया की भी समस्या काफी हद तक बढ़ जाती हैं। फेफड़ों में इनफेक्शन व लगातार खांसी आना, सीने में खड़खड़ाहट की आवाज आना और सांस तेज चलना, चेहरा नीला पड़ना, पसली चलना व कमजोरी और लगातार फीवर बने रहना। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। ठंड में पानी कम पीना और लगातार दस्त होने पर डिहाइड्रेशन की समस्या पैदा होती है। इसलिए 6 माह से ऊपर के बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) एवं जिंक का घोल सही मात्रा में अवश्य पिलाएं। साथ ही, उनको गुनगुने पानी का सेवन कराएं।
शिशुओं को संक्रमण या सर्दी-जुकाम से दस्त हो सकता है :
डॉ. सिन्हा ने बताया, शिशुओं में दस्त होने के कई कारण होते हैं। जमीन से कुछ उठा कर खाने, दूषित पानी या उससे बने भोजन, जीवाणु संक्रमण या सर्दी-जुकाम से दस्त हो सकता है। जिसे नजरअंदाज न करें और चिकित्सक से संपर्क करें तथा शिशुओं को डिहाइड्रेशन और ठंड से बचाएं। छह माह से कम उम्र के बच्चों को डायरिया व डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए स्तनपान का कोई विकल्प नहीं है। मां के दूध में वो सभी तत्व उपलब्ध होते हैं। जो शिशु को निर्जलीकरण से बचाने और स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसलिए उन्हें अधिक से अधिक बार स्तनपान कराएं। इस मौसम में शिशुओं को डायरिया होने की सबसे बड़ी वजह उन्हें ठंड लगना है। इसलिए उनको हमेशा पूरे कपड़े पहना कर रखें। बाहर खेलने जाते समय भी स्वेटर, टोपी, मोजे और दस्ताने जरूर पहना कर रखें। वहीं, गुनगुना पानी व गर्म भोजन कराने से उनमें ठंड लगने की संभावनाएं कम हो जाएंगी। उनके सामने छींकने या खांसने से बचें।