चुनाव पूर्व कराए गए आंतरिक सर्वे से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कान खड़े हो गये हैं । सर्वे के मुताबिक योगी के नेतृत्व में चुनाव होने होने पर यूपी में भाजपा का सूपड़ा साफ हो सकता है। लिहाजा यूपी बचाने के लिए तमाम कसरत शुरू हो गयी है। दिल्ली में पीएम, पार्टी अध्यख नड्डा व गृह मंत्री शाह से योगी की मुलाकात इसी का हिस्सा माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार यह भी तर्क दिया जा रहा है कि यूपी का पूर्वी व पश्चिमी भागों के विभाजन से पार्टी की कुछ प्रतिष्ठा बच सकती है। लेकिन यह इतने कम समय में आसान नहीं है।अलबत्ता यूपी को लेकर भाजपा की नींद उड़ी हुई है।
भाजपा आने वाले समय मे बड़ी उलटफेर करने जा रही है। उत्तरप्रदेश से इसकी शुरुआत होने जा रही है। भाजपा सियासत के ताजा अंदाज को देखते हुए यह अनुमान लगाया जाता है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विदाई तय है। चूंकि योगी के हटने के साथ उनका वोटबैंक भी जुड़ा रहे इसलिए उन्हें केंद्र में बड़ी जिम्मेवारी दी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार उत्तरप्रदेश में भाजपा ने सर्वे कराया था। सर्वे में पता चला कि चुनाव में योगी के रहते भाजपा की नैया डूबना तय है। प्रदेश में हर तबका योगी से नाराज है। प्रदेश में स्थानीय गोरखपुर के राजपूत को छोड़कर पूरे प्रदेश के ब्राह्मण, यादव, लोध, कुर्मी, कुशवाहा, कायस्त, निषाद, दलित समेत अनेक उपजातियां योगी के शासन से नाराज हैं। सर्वे में कहा गया कि पश्चिम बंगाल से भी बुरा हाल भाजपा का यूपी में हो सकता है। यूपी में ब्राह्मणों ने भाजपा के खिलाफ शिखा बांध लिया है। यूपी में करीब 18 फीसदी ब्राह्मणों की संख्या है जो भाजपा के कट्टर वोटबैंक माने जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि केंद्र के इशारे पर जब योगी सत्ता से हटने के लिए तैयार नहीं हुए तो भाजपा ने अधिकतर विधायकों को साथ लेकर योगी को ‘कल्याणसिंह’ बनाने की तैयारी कर ली। इसके बाद योगी के तेवर नरम पड़े। उधर संघ पहके से योगी के खिलाफ खड़ग उठाये हुए है।