इंडिया सिटी लाइव (छपरा)17 दिसम्बर: बिहार में नीतीश कुमार की सरकार के गठन के साथ ही यह तय हो गया था कि महागठबंधन के नेता के रूप में तेजस्वी यादव से नीतीश कुमार को कड़ी और बड़ी चुनौती मिलती रहेगी, लेकिन नेता विरोधी दल अपनी पुरानी छवि अलग कोई छवि बना पाएंगे ऐसा दिखता नहीं। पिछले दिनों त्र दिसम्बर को किसान आन्दोलन के समर्थ में गांदी मैदान में एक दिन के धरने के बाद नेता प्रतिपक्ष मानो बिहार की राजनीति से ही ओझल हो गए हैं। महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता अपने सर्व मान्य नेता को खोज रहे हैं। राजद के भी पहले से य कार्यक्रम ठप पड़े हैं और तेजस्वी यादव राजनीतिक पर्दृश्य से गायब हैं।जदयू और बीजेपी ने तो पहले से ही तेजस्वी पर हमला बोलना शुरू कर दिया था अब कांग्रेस और वाम दल के नेता भी पूछने लगे हैं कि आखिरकार कहां गायब हैं नेता प्रतिपक्ष।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में तेजस्वी के तेवर ने राजग के पसीने छुड़ा दिए थे। विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से सत्ता से बाहर रह गए विपक्षी दलों को तेजस्वी ने लगातार संघर्ष करते रहने का सपना दिखाया था। नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से सरकार को सड़क से सदन तक घेरने का वादा किया था पर लेकिन जब समय आया तो खुद ही परिदृश्य से गायब हैं। कहां हैं तेजस्वी , इसके बारे में ठीक-ठीक किसी को नहीं पता।यहां तक कि राजद के वरिष्ठ नेताओं को भी नहीं। पार्टी सूत्रों की माने तो तेजस्वी न दिनों दिल्ली मे हैं। कहा जा रहा है कि तेजस्वी इन दिनों अपने पिता लालू प्रसाद यादव को बेल दिलाने के लिए। ड़ी चोटी एक कर रहे हैं और सी सिलसिले में दिल्ली में कानून के बड़े जानकारों से मिल रहे है। बहरहाल यह सिर्फ सूत्रों के हवाले से खबर है। राजद के प्रदेश प्रवक्ताओं को भी जानकारी नहीं है कि तेजस्वी इन दिनों कहां है।ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है।
पहले भी तेजस्वी ऐन मौके पर गायब होते रहे हैं-
ऐसा नहीं कि यह पहली बार हो रहा है। सत्ता पक्ष की ओर से तेजस्वी का अता-पता कई अहम मौकों पर पूछा जा चुका है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी और जदयू के नीरज कुमार लोकसभा चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष के अचानक ओझल हो जाने पर लगातार सवाल उठाते रहे थे। तब तेजस्वी के बारे में सूचनाएं आम नहीं हो रही थीं। दो महीने तक असमंजस के हालात थे। राजद के जीरो पर आउट होने और नेता प्रतिपक्ष के अचानक ओझल हो जाने से कुछ लोग यहां तक मानने लगे थे कि शायद अब राजनीति से उनका मोहभंग हो चुका है। कई अन्य अहम मौकों पर भी तेजस्वी का ऐसा ही रवैया रहा है। मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का मामला हो या पटना में बाढ़ का, वह बिहार से बाहर रहने के कारण विरोधियों के निशाने पर ही रहे हैं। हालांकि लॉकडाउन के दौरान वह इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय जरूर दिखे थे, लेकिन शुरू के दिनों में राहत कार्यों में प्रत्यक्ष भागीदारी के लिए पटना में उनका इंतजार होता रहा था।
7 दिसम्बर के बाद से तेजस्वी का अता पता नहीं-
कांग्रेस विधायक शकील अहमद ने तेजस्वी के रवैये पर नाराजगी जतायी है और कहा है कि इस समय तेजस्वी का गायब रहना ठीक नहीं है।राजद वाम दल और कांग्रेस के कई बड़े नेता दबी जुबान ही सही कहने लगे हैं कि तेजस्वी का यह रवैया गैर जिम्मेदाराना है। उन्हें जल्द सामने आना चाहिए और नेतृत्व संभालना चाहिए।