चुनाव के पहले चरण में बिहार की चार सीट गया, नवादा, औरंगाबाद और जमुई में चुनाव होंगे। नामांकन की आज आखिरी तारीख है। आखिरी दिन गया लोकसभा सीट से राजद नेता सर्वजीत ने अपना नामांकन भरा। नेता सर्वजीत का मुकाबला मांझी से होगा। गया में पहले 19 अप्रैल को चुनाव है। सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है।
विधायक कुमार सर्वजीत पूर्व सांसद स्व राजेश कुमार के पुत्र हैं। इनके पिता स्व राजेश 1992 से 1996 तक गया के सांसद रहे। इसके पहले वे तीन बार बोधगया विधानसभा के विधायक भी रह चुके थे। विधायक सर्वजीत के पिता राजेश कुमार की हत्या 22 जनवरी 2005 को हुई थी तो उसके कुछ दिन बाद इन्हें लोक जनशक्ति पार्टी ( एलजेपी ) ने उप चुनाव में उतारा। इन्होंने 2009 के उप चुनाव में राजनीति में पहली बार कदम रखा और एलजेपी के टिकट पर 17 माह के लिए विधायक चुने गए। पिता स्व राजेश की तरह ही सर्वजीत कुमार ने अपने क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल किया है।
2015 के चुनाव में पुनः आरजेडी के टिकट पर विधायक चुने गए। उस दिन से लेकर आज तक बोधगया विधानसभा की सीट पर उनका कब्जा कायम है। गया कॉलेज से इंटरमीडिएट की। इसके बाद उन्होंने बीआईटी मेसरा से प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी होने के बाद वे एसआईटी रांची में प्रोफेसर का जॉब किया।
गया ऐसी सुरक्षित संसदीय क्षेत्र है, जहां पत्थर तोड़ने वाली महिला भगवती देवी भी संसद तक पहुंच गई। और भाजपा के सीधे सादे नाटे कद के ईश्वर चौधरी ने भी लगातार अपनी जीत दर्ज कर मानो इस क्षेत्र को भाजपा का हीं क्षेत्र घोषित कर दिया था, जबकि अब परिस्थिति बदल चुका है। वोटर का मन मिजाज भी बदला हुआ है।
आजादी के बाद वर्ष 1957 में गया संसदीय सीट का गठन हुआ। उस वक्त गया संसदीय सीट पर प्रथम सांसद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ब्रजेश्वर प्रसाद रहे। इनका कार्यकाल 1962 तक रहा। कार्यकाल सामान्य जाति के लिए रहा। इसके बाद गया संसदीय सीट को सुरक्षित यानि अनुसूचित जाति के लिए कर दिया गया। इसके बाद से 2019 तक अनुसूचित जाति के उम्मीदवार ही गया संसदीय सीट से लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।