आरजेडी विधान पार्षद ने दिया बड़ा दिलचस्प आंकड़ा

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 बिहार में सत्ता में शामिल राष्ट्रीय जनता दल के एक विधान पार्षद ने बड़ा दिलचस्प आंकड़ा दिया है.नगर निगम के कुल 17 मेयर में तीन पद अति पिछड़ों के लिए आरक्षित हैं. तीनों पदों पर तेली जाति के लोगों का कब्जा है. बिहार में जिला परिषद अध्यक्ष के 8 पद अति पिछड़ों के लिए आरक्षित हैं. इनमें से 7 पदों पर तेली जाति के लोग काबिज हैं. सिर्फ एक पद पर माली जाति की महिला है, लेकिन उससे भी एक यादव जी ने एग्रीमेंट करा रखा है कि जो मैं कहूंगा वही करना होगा.

आरजेडी के विधान पार्षद रामबली सिंह चंद्रवंशी ने अति पिछड़ों की बैठक में ये आंकड़ा दिया. रामबली सिंह ने कहा-नीतीश कुमार ने कर्पूरी ठाकुर के अति पिछड़ों का गला काट दिया. जिन अति पिछड़ों के लिए कर्पूरी जी ने अपनी जान की परवाह नहीं की थी, वह वर्ग अब भिखारी हो गया है. रामबली सिंह चंद्रवंशी ने कहा-2015 में नीतीश कुमार ने तेली जाति को अति पिछड़ा बना दिया. ये वही तेली जाति है जो बिहार में सबसे ज्यादा टैक्स भरती है

अब हाल है कि नगर निकाय से लेकर पंचायती राज में अति पिछड़ों के लिए जितने पद आरक्षित हैं, उन सब पर तेली जाति के लोग काबिज हो गये हैं. तेली जाति की ताकत इतनी है कि उसने जिला परिषद अध्यक्ष पद पर सिर्फ अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीट ही नहीं बल्कि सामान्य कोटे के भी चार पदों पर कब्जा कर लिया है. इस जाति ने अति पिछडों के लिए आरक्षित सरकारी पर भी कब्जा जमा लिया. कर्पूरी ठाकुर ने 117 जाति के लोगों को अति पिछ़डा माना था.  नीतीश कुमार ने इन लोगों के भविष्य का कत्ल कर दिया.

 

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रामबली सिंह चंद्रवंशी ने कहा-नीतीश कुमार 2015 में तेली समेत तीन पावरफुल जाति को अति पिछड़ों की श्रेणी में शामिल करने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाने वाले थे. मैं भागा भागा हुआ लालू प्रसाद यादव के पास गया. मैंने लालू जी से कहा कि अगर ये ताकतवर जातियां अति पिछडे वर्ग में शामिल हो गयीं तो फिर क्या बचेगा. जो अति पिछड़े हैं, उनका भविष्य चौपट हो जायेगा. लालू जी मेरी बातों से सहमत हो गये. मैंने उनसे कहा कि आप नीतीश कुमार से बात करिये. उस समय जेडीयू-आरजेडी की साझा सरकार थी लेकिन लालू यादव की हिम्मत नहीं हुई नीतीश कुमार से बात करने की. लालू यादव ने आरसीपी सिंह को कॉल किया. आरसीपी सिंह ने कहा कि लालू जी को नीतीश जी से बात करनी चाहिये.

 

रामबली सिंह चंद्रवंशी ने कहा कि जातीय गणना से ये आंकड़ा आया कि बिहार में अति पिछड़ों की तादाद 36 परसेंट से ज्यादा है. लेकिन रिपोर्ट आने के बाद उन्हें क्या मिला.पिछड़ों के नाम पर सारा मलाई तो ताकतवर जातियां खा रही हैं. नौकरी में आरक्षण बढ़ाने की बात कही जा रही है लेकिन ये बुलबुला है. इसे फूट जाना है. सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच कह चुकी है कि आरक्षण का दायरा 50 परसेंट से ज्यादा नही हो सकता.

 

 

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